उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई विभागीय समीक्षा बैठक
भोपाल
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिक्षा गुणवत्ता, सूचना प्रौद्योगिकी और युवाओं को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिये यह निर्णय लिया गया था कि सभी महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जाये। इसके लिये अब तक कुल 35 इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने के लिये कार्य-योजना बनाई गई है। सात विश्वविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटर संचालित किये जा रहे हैं, 9 विश्वविद्यालय एवं 19 स्वशासी महाविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में I-Technology Based Incubater के लिये 5 करोड़ रूपये के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली है। डॉ. यादव आज मंत्रालय में विभागीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के.सी. गुप्ता ने बताया कि जी.ई.आर. संबंधी डाटा अपडेशन का कार्य जारी है। वर्ष 2020-21 की एआईएसएचई रिपोर्ट के अनुसार सकल पंजीयन अनुपात (जी.ई.आर.) 27.1 प्रतिशत है, जो देश के जी.ई.आर. 27.3 के निकट है। एआईएसएचई पोर्टल पर वर्ष 2021-22 के लिये प्रदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं स्टैंड एलोन संस्थानों का कुल 88 प्रतिशत डाटा प्रविष्टि का कार्य पूर्ण किया गया है। वर्ष 2022-23 के लिये डाटा प्रविष्टि का कार्य सितम्बर-2023 से प्रारंभ किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में नियुक्त कुल 2848 सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारियों में से 846 की परिवीक्षा अवधि समाप्त की जा चुकी है। 745 प्रकरण परिवीक्षा परीक्षण समिति के माध्यम से शासन को भेजा गया है। 1257 प्रकरणों में से लगभग 300 प्रकरण न्यायालयीन अथवा अन्य कारणों से लंबित हैं। शेष 957 प्रकरणों में पुलिस सत्यापन प्राप्त करने की कार्यवाही जारी है।
गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक संभाग में एक शासकीय महाविद्यालय का उत्कृष्ट महाविद्यालय के रूप में उन्नयन किया जा रहा है। प्रथम चरण में 4 संभाग इंदौर, उज्जैन, जबलपुर एवं ग्वालियर में उत्कृष्टता महाविद्यालय तथा 10 जिले मुरैना, दतिया, पन्ना, सतना, अनूपपुर, खण्डवा, सीहोर, बैतूल, बालाघाट एवं नीमच में आदर्श महाविद्यालय की स्थापना के लिये अतिरिक्त बजट के लिये प्रस्ताव वित्त विभाग को प्रेषित की गई है।
बैठक में गोद ग्राम योजना के क्रियान्वयन, भूमि-विहीन महाविद्यालयों के लिये भूमि का आवंटन, जीर्णशीर्ण भवनों का रख-रखाव, डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना आदि विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की गई।