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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था की प्रमुख दादी जानकी का निधन

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राष्ट्रपति सहित राज्यपालों एवं मुख्यमंत्रियों ने दी शोकाजंली
आबूरोड/रायपुर।
प्रजापिता बह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की 140 देशों की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी 104 वर्ष की आयु में ग्लोबल हास्पिटल माउंट आबू में 27 मार्च 2020 को सुबह 2 बजे निधन हो गया। विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थितिपज्ञ व्यक्तित्व में रुप में सम्मानित दादी जानकी बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति की थी। वह नियमित रुप से रामचरित मानस और सुखमणि साहिब का पाठ किया करती थी। उनका जन्म 01 जनवरी 1916 शनिवार को सिंघ के उत्तरी प्रांत में (अब पाकिस्तान) में हुआ था। किशोरावस्था में उनका विवाह तो हुआ था परंतु जीवन भर उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया। उन्हीं दिनों 1936 में दादा लेखराज कृपलानी के संपर्क में आई और उनके आध्यात्मिक प्रवचन से प्रभावित हुई किंतु उनके परिजन विरोध करते थे। अंतत: वे 1937 में घर से भाग गई और ब्र्हाबाबा (दादा लेखराज कृपलानी)द्वारा संचालित ओम मंडली से जुड़ गई। 1937 से 1950 तक कराची में संचालित ओम मंडली की वे प्रमुखों में से एक थी। 1950 में ओम मंडली कराची से माउंट आबू राजस्थान आ गई। संस्था के विस्तारीकरण का कार्य दादी जानकी को सौंपा गया। जिसमें वे शत-प्रतिशत सफल हुई। उनकी प्रतिभा को देखते हुए ब्रह्माबाबा ने 1974 में उन्हें विदेश सेवा करने लंदन भेज दिया। चौथी तक शिक्षित दादी जानकी को अंग्रेजी का ज्ञान नहीं था किंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कुछ ही वर्षों में वह अंग्रेजी की प्रखर वक्ता बन गई और विदेशों में आध्यात्मिक शिक्षा के प्रसार-प्रचार की प्रखर वक्ता हो गई। 1978 में अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी के चिकित्सा एवं अनुसंधान विभाग की ओर से इलेक्ट्रोइन से फ्लोग्रा करने के बाद से उन्हें विश्व की सर्वाधिक स्थित दिमाग वाले व्यक्ति का खिताब दिया गया। विदेश सेवा के दौरान उनकी टीम ने दिन-रात मेहनत की और परिणाम स्वरुप लगभग दस लाख लोग आध्यात्मिक सेवा से जुड़े हुए है। 25 अगस्त 2007 से वे संस्थान प्रमुख के रुप में सेवाए दी। वर्ष 2017 में केन्द्र सरकार ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान की ब्रांड एम्बेसडर बना दिया। उनकी कार्यक्षमताा को देखते हुए गीतम यूनिवर्सिटी विशाखापटनम ने डॉक्टरेट की उपाधि दी। दादी जानकी ने वर्ष 2019 में 103 वर्ष की आयु में विश्व शांति के लिए 72 हजार किलोमीटर की आध्यात्मिक यात्रा भी की। उन्होंने जहां कंपेनियन ऑफ गॉड, विंग्स ऑफ सोल और पल्स ऑफ विसडम जैसी आध्यात्मिक किताबे प्रकाशित करवाई वहीं उन पर केन्द्रीत लिज हाडकिंग्स जैसे विश्व प्रसिद्ध लेखक ने दादी जानकी ए सेन्चुरी ऑफ सर्विस जैसी किताबे लिखी। उनके निधन पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सभी मंत्रियों समेत विभिन्न प्रांतों के मुख्यमंत्री , राज्यपालों एवं विदेश प्रमुखों ने शोक व्यक्त किया है।