मोदी सरकार ने अयोध्या मामले में मंगलवार को बड़ा निर्णय लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की कि अयोध्या की गैर-विवादित जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटा दी जाएं। 1991 से 1993 के बीच केंद्र ने विवादित स्थल और उसके आसपास की करीब 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए थे। विश्व हिंदू परिषद ने मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। संगठन ने कहा है कि सरकार ने अब सही दिशा में कदम उठाया है।
अयोध्या में 2.77 एकड़ की जमीन पर राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद है। रामलला अभी इसी जमीन पर विराजमान हैं। केंद्र ने अपनी अर्जी में कहा कि हमने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि समेत कुल 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। अब हम अतिरिक्त जमीन उनके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति चाहते हैं और यथास्थिति बरकरार रखने के 2003 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बदलाव चाहते हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले का भी हवाला दिया। केंद्र ने अपनी अर्जी में कहा कि इस्माईल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर केंद्र चाहे तो सेंट्रल एरियाज ऑफ अयोध्या एक्ट के तहत मूल विवाद के 0.313 एकड़ इलाके के अलावा अतिरिक्त अधिग्रहित जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटा सकताहै।