Home देश ऐसे लोगों की कहानियां, जिन्होंने सबको कोरोना के खतरे से बचाया

ऐसे लोगों की कहानियां, जिन्होंने सबको कोरोना के खतरे से बचाया

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के चलते सरकार के निर्देश हैं कि जो भी विदेश से आ रहे हैं, वह खुद को 14 दिनों के लिए सेल्फ क्वारेंटाइन में रखें। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कोरोना वायरस से भारत में अब तक 600 से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 10 की मौत भी हो चुकी है। दुनिया भर में इसका संक्रमण 4.65 लाख लोगों में फैल चुका है और 21 हजार से भी अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इस संक्रमण को रोकने के लिए इस चेन को तोड़ना बहुत जरूरी है।
बहुत से लोग बात मान रहे हैं और अपने और अपने परिवार के साथ-साथ समाज की सुरक्षा के लिए खुद को सबसे अलग कर रहे हैं। लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जो ये बात छुपा रहे है कि वह विदेश से लौटे हैं। हाल ही में गायिका कनिका कपूर भी विदेश से लौटी थीं, लेकिन उन्होंने खुद को क्वारेंटाइन में रखने के बजाय पार्टी की और लोगों से मिलीं। ऐसे लोगों के लिए केरल को कोझिकोड में रहने वाले रफीक एक अच्छे उदाहरण हैं, जिन्होंने खुद को सेल्फ क्वारेंटाइन में रखा गया है।
कैसे अपनी बेटी के साथ दूर से ही खेलते हैं रफीक
रफीक दुबई से लौटे हैं और उन्होंने खुद को सेल्फ क्वारेंटाइन में रखा है। वह अपनी छोटी सी बेटी के साथ दूसरी छत से बात करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी के साथ खेलने का एक टिकटॉक वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड किया है। तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस को रोकने के लिए रफीक की तरह ही कदम उठाना होगा। उनसे एक शख्स ने सोशल मीडिया पर ही पूछा कि जब ऐसी स्थिति है तो वह दुबई से वापस ही क्यों आए, तो रफीक ने कहा कि जब ये 14 दिन खत्म हो जाएंगे, तो मैं 45 दिन तक अपनी बेटी के साथ समय बिता पाऊंगा। बता दें कि वह दुबई में एक शेफ हैं।
दूर से किया पिता का अंतिम संस्कार
तेंलगाना के कामारेड्डी जिले में 25 साल के एक शख्स हाल ही में अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए घर लौटे थे। उनके अनुसार उन्होंने दूर से अपने पिता का अंतिम संस्कार देखा। कुछ मेडिकल ऑफिसर उनसे मिलने भी आए थे और उन्हें सेल्फ क्वारेंटाइन की सलाह दी है।
कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क कितना जरूरी?
कोरोना वायरस के खौफ के चलते देश में मास्क खरीदने के लिए जबरदस्त मारामारी है। पर सवाल यह है कि हमें मास्क की जरूरत है भी या नहीं? इस विडियो में जानेंगे कि कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना कितना जरूरी है।
समाज, घर, डॉक्टर… सबको ख्याल रखा इस शख्स ने
ऐसी ही कहानी है केरल के कासरगोड में रहने वाले एक शख्स की। वह एक गल्फ देश से वापस लौटा है। गुवाहटी के एक स्कॉलर धीरज पलेरी ने उनकी कहानी बताई। जब वह तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर पहुंचा तो उसने खुद ही स्वास्थ्य अधिकारियों कहा कि वह एक कोरोना प्रभावित इलाके से लौटा है, इसलिए उसकी जांच की जाए। उसके बाद एक एंबुलेंस बुलाई और उसी घर तक गए और 18 हजार रुपए चुकाए। घर पहुंचने के बाद भी वह ना तो घर के अंदर घुसे, ना ही किसी से मिले। घर के बाहर ही एक छोटे से घर में रहने लगे, जहां बाद में स्वास्थ्य अधिकारियों ने पहुंचकर जांच की तो 2 दिन बाद पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। इस तरह ना तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पर कोई बोझ पड़ने दिया, ना ही किसी परिवार के सदस्य या समाज पर।
कोरोना के लक्षण दिखें तो ये कॉमन दवा खाने की गलती ना करें
ऐसे लोग जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण हों, वे आई-ब्रूफेन (Ibuprofen) ना लें, इसकी जगह पेरासिटामोल (Paracetamol) का इस्तेमाल करें। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री के इस दावे का समर्थन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी किया है। संयुक्त राष्ट्र के इस स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने कहा है कि वे इस पर आगे भी निर्देश जारी करेंगे।
मलप्पुरम के शख्स ने भी निभाई जिम्मेदारी
एक अन्य फेसबुक यूजर डॉक्टर नेल्सन जोसेफ ने मलप्पुरम में रहने वाले एक शख्स की स्टोरी साझा की है, जो यूनाइटेड अरब अमीरात से लौटा है। घर जाने से पहले उसने सभी को बाहर निकलने के लिए कहा था। घर में पहुंचने के बाद वह दो दिन तक सेल्फ क्वारेंटाइन में रहा। वहां वह दो दिन रहा, जिसके बाद पता चला कि उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कर दिया गया।
सेलेब्रिटी का बेटा ऐसे है सेल्फ क्वारेंटाइन में
सेलेब्रिटीज भी छोटे-छोटे वीडियो बनाकर हाईजीन और सोशल डिस्टैंसिंग की बात लोगों तक पहुंचा रहे हैं। दक्षिण की एक्टर-डायरेक्टर सुहासिनी मणि रत्नम भी अपने बेटे नंदन की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रही हैं, जो हाल ही में लंदन से लौटा है। इस समय वह सेल्फ क्वारेंटाइन में है। कमरे के अंदर से ही नंदन लोगों को बता रहा है कि कैसे वह और उसका परिवार बचाव के तरीके अपना रहे हैं। सुहासिनी बताती हैं कि कैसे उनके बेटे में कोई भी लक्षण नहीं होने के बावजूद उन्होंने नंदन को सेल्फ क्वारेंटाइन में रखा है।
ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, ऐसे बहुत से लोग हैं जो कोरोना वायरस के खतरे को गंभीरता से लेते हुए एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभा रहे हैं। हां ये भी सही है कि बहुत से लोग लापरवाही भी दिखा रहे हैं। ऐसे लोगों की वजह से अन्य कई लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। कनिका कपूर और दिल्ली का केस नंबर-10 लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है।