अगर आपके घर में भी किशोर उम्र के बच्चे हैं तो उनके खान-पान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. किशोर उम्र के बच्चे जंक फूड खाने के ज्यादा शौकीन होते हैं और इस बात से अनजान होते हैं कि इससे उनके दिमाग के विकास को बाधा पहुंच रही है. एक हालिया शोध में ये खुलासा किया गया है.
किशोरावस्था में संवेदनशील होते हैं बच्चे : नए शोध में शोधकर्ता कैसांद्रा लोवे और उनकी टीम ने बताया है कि किशोरावस्था में बच्चे दो तरहों से संवेदनशील होते हैं.
एक तरफ बच्चों के दिमाग में फैसले लेने की क्षमता विकसित हो रही होती है तो वहीं दूसरी तरफ दिमाग में खुद को खुश करने की चाहत बढ़ जाती है जिससे उनका खान-पान बिगड़ जाता है. इन दोनों कारणों से किशोरों के दिमाग में नकारात्मक बदलाव आते हैं. किशोरावस्था में व्यव्हार में तेजी से परिवर्तन होते हैं और इसे रोकने के लिए ये जरूरी है कि इस उम्र में बच्चों में स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा दिया जाए.
शोधकर्ता के अनुसार किशोर बच्चे उच्च कैलोरी और चीनी वाले खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करते हैं क्योंकि उनमें खुद को नियंत्रण में रखने की क्षमता कम होती है. उनका दिमाग विकास कर रहा होता है और ऐसे में वे ऐसा खाना खाने की चाहत रखते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है. इस उम्र के दौरान उनके दिमाग में नियंत्रण की क्षमता कम होती है जिससे वो खुद को जंक फूड खाने से रोक नहीं पाते.
किशोरावस्था के दौरान दिमाग का प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स जो आत्म नियंत्रण, फैसला लेने सम्बन्धी और इनाम सम्बन्धी भावनाओं को नियंत्रित करता है, विकसित हो रहा होता है. इसलिए किशोर अस्वास्थ्यकारी खाने का लालच नहीं छोड़ पाते हैं. दिमाग का ये हिस्सा सबसे अंत में विकसित होता है और ऐसे में ये दिमाग के मैनेजर के सामान होता है.
दिमाग के इस हिस्से में होती है परेशानी : किशोरावस्था के दौरान ज्यादा जंक फूड खाने से प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स के विकास में बाधा उत्पन्न होती है. इससे इस हिस्से की संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव हो जाता है और दिमाग में डोपामाइन संकेतों में भी बादलाव हो जाता है. इससे किशोरों के दिमाग में रिवॉर्ड सिस्टम सक्रिय हो जाता है. खुद को खुश करने के चक्कर में वे जंक फूड खाते रहते हैं और इससे बाद में चलकर उनकी बुद्धिमत्ता में कमी आती है और व्यवहार हिंसक हो जाता है.
कसरत से मदद : शोधकर्ता ने कहा, एक और चीज पर ध्यान देने कि जरूरत है. हमें देखना चाहिए कि कैसे कसरत दिमाग में हो रहे इन बदलावों को नियंत्रित कर सकती है और किशोरों को खाने के बेहतर विकल्प का चयन करने में मदद कर सकती है. इस शोध के परिणामों से पता चलता है कि कसरत दिमाग के ज्ञानात्मक नियंत्रण को बेहतर करती है और रिवॉर्ड सिस्टम की संवेदनशीलता को भी रोकती है जिससे बच्चे जंकफूड का चयन करने से बचते हैं. किशोर बच्चों को जंकफूड के कारण दिमाग को हो रहे नुकसानों के बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि वे स्वस्थ खाने का चयन कर सकें.