सीपीटी और सीमा लाईन में छेड़छाड़ का मामला
रायगढ़। वन विभाग के रायगढ़ रेंजर ने रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में सीमा लाईन व सीपीटी से हुए छेड़छाड़ के मामले में डिप्टी रेंजर दीनबंधु प्रधान और बीट गार्ड लाखन सिदार को नोटिस थमाते हुए दो दिनों के भीतर जवाब पेश करने के कहा है।
मार्च के अंत से ग्राम पंडरीपानी में ठेकेदार मेसर्स सुनील अग्रवाल द्वारा रेल लाईन के लिए निजी भूमि में अवैध रूप से मिट्टी उत्खनन शुरू करते हुए रिजर्व फॉरेस्ट एरिया 1010 के सीमा लाईन व सीपीटी में मिट़्टी डालकर उसे सड़क बनाकर उसका उपयोग परिवहन के लिए करने लगा। इसकी भनक न तो बीट गार्ड को लगी न ही डिप्टी रेंजर को जिसके कारण सीमा लाईन व सीपीटी का स्वरूप बदलकर उसका उपयोग ठेकेदार द्वारा मिट्टी परिवहन करने के लिए किया जाता रहा। बाद में जब पत्रिका के माध्यम से इसकी सूचना वन विभाग के आला अधिकारियों को लगी तो इस मामले में जांच शुरू किया गया , लेकिन जिम्मेदार कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई थी। देर से ही सही इस मामले में अब जाकर रेंजर लीला पटेल ने डिप्टी रेंजर दीनबंधु प्रधान और बीट गार्ड लाखन सिदार को नोटिस जारी करते हुए दो दिनों के भीतर जवाब पेश करने के लिए कहा है।
जिनके क्षेत्र में हुआ पूरा खेल उन्ही से कराया जांच
जब सीमा लाईन व सीपीटी पर मिट्टी डालकर समतल करने का काम चल रहा था उस समय डिप्टी रेंजर व बीट गार्ड के रूप उक्त क्षेत्र के मॉनिटरींग का जिम्मा उक्त दोनो अधिकारी संभाल रहे थे बाद में मामला सामने आने पर उन्ही अधिकारियों से जांच कराया गया। जिसके कारण अब इस जांच में सीमा लाईन का उल्लेख ही नहीं किया गया है। खानापूर्ति करने के लिए सीपीटी को फिलअप करने के मामले में जुर्माने की कार्रवाई कर दी गई है।
उच्च अधिकारी की कही मिली भगत तो नही
इस मामले को लेकर वन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारियों व कानून के जानकार लोगों से चर्चा करने पर यह बात सामने आई के यह सीधा-सीधा अतिक्रमण का मामला है। अतिक्रमण का आशय सिर्फ कब्जा कर निर्माण करना नहीं बल्कि स्वरूप बदलकर उसका उपयोग करना भी होता है। इस मामले में वन भूमि पर अतिक्रमण का ठेकेदार पर प्रकरण बनाते हुए सीधे कोर्ट में प्रकरण पेश होना था, लेकिन यहां तो देखा जा रहा है कि विभाग के अधिकारियो ने ठेकेदार को पूरी तरह से बचाते हुए मामले को विभाग में ही मामूली जुर्माना लगा कर निराकरण कर दिया गया