भोपाल
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में बड़ी मात्रा में कबाड़ पड़ा हुआ है। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। विभागों से निकलने वाले खराब कंप्यूटर, कूलर, ब्रेंच, टेबल, कुर्सी, प्लास्टिक, बॉटल, टायर, पेपर आदि का विवि में ढेर लगा है, जिसे सालों से बेंचा नहीं गया है। यह कबाड़ बीयू के विभिन्न डिपार्टमेंट में सालों से पड़ा जंग खा रहा है।
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में कबाड़ के जमा होने से यहां कभी भी कोई दुर्घटना घट जाए इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ दिन पहले सतपुड़ा भवन में आग लगने का कारण भी पुराना कबाड़ ही बताया जा रहा है। हर डिपार्टमेंट में 4 से 6 क्विंटल कबाड़ कर्मचारी और प्रोफेसर्स के अनुसार विवि के हर डिपार्टमेंट में 2 से 3 क्विंटल कबाड़ पड़ा हुआ है। इसके अलावा 15 से 20 क्विंटल कबाड़ बाहर खुले में पड़ा है। इसमें ई-कचरा भी शामिल है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
बीयू में कॉपी-किताबों की तरह कबाड़ को भी डिस्पोज करने के लिए कमेटी बनाई जाती है। डिपार्टमेंट के एचओडी के पत्र के बाद कमेटी द्वारा इसे डिस्पोज करने का निर्णय लिया जाता है, लेकिन करीब 15 सालों से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्थिति यह है कि इतना सालों में करीब 50 क्विंटल कबाड़ बीयू में इकट्ठा हो गया है।
खुले में ई-कचरा
बीयू में बड़ी मात्रा में ई-कचरा भी पड़ा है। इसमें खराब कंप्यूटर भी शामिल हैं। कंप्यूटरों में आमतौर पर तांबा, इस्पात, एल्युमिनियम, पीतल, सीसा, कैडमियम तथा चांदी के अलावा कांच और प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इनसे क्लोरीन एवं ब्रोमीन युक्त पदार्थ, विषैली गैसें, फोटो एक्टिव और जैविक सक्रियता वाले पदार्थ अम्ल और प्लास्टिक आदि होता है।
कबाड़ से पार्क, खेल ग्राउंड एवं विवि की सड़क किनारे रखने के लिए कुर्सी एवं ब्रेंच तैयार होंगी। जो कचरा उपयोग में नहीं आ सकता उसे डिस्पोज किया जाएगा।
– सुरेश कुमार जैन, कुलपति, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय