कराची
आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान ने कुछ पूंजी जुटाने के लिए हाल ही में न्यूयॉर्क के अपने मशहूर रूजवेल्ट होटल को पट्टे पर दे दिया था। अब उसने कराची के बंदरगाह को भी संयुक्त अरब अमीरात को देने का फैसला लिया है ताकि कुछ फंड जुटाया जा सके। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ से लोन की लीड ना हो पाने के चलते पाकिस्तान इस विकल्प पर काम करने वाला है। वित्त मंत्री इशाक अहमद डार ने वित्तीय मामलों की समिति की कैबिनेट समिति की मीटिंग की अध्यक्षता की थी। इस मीटिंग में कराची पोर्ट ट्रस्ट और यूएई सरकार के बीच कमर्शियल अग्रीमेंट पर बात करने के लिए एक समिति के गठन को मंजूरी दी गई।
इस मीटिंग में फैसला लिया गया कि कराची पोर्ट टर्मिनल के मेंटनेंस, निवेश और डिवेलपमेंट को लेकर करार दिया जाएगा। इस कमेटी का नेतृत्व मैरीटाइम अफेयर्स मिनिस्टर फैसल सब्जवारी करेंगे। इसके अलावा पीएम के विशेष सहायक जहांजेब खान और कुछ अन्य अधिकारी भी इस समिति का हिस्सा होंगे। यूएई की सरकार ने कराची पोर्ट के अधिग्रहण की इच्छा जताई है, जिसका मैनेजमेंट अब तक पाकिस्तान की सरकारी कंपनी पाकिस्तान इंटरनेशनल कंटेनर्स टर्मिनल्स के हाथों में रहा है।
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने पिछले साल ही इंटरगवर्नमेंटल कमर्शियल ट्रांजेक्शंस ऐक्ट बनाया था, जिसके तहत तेजी से संसाधनों को बेचने पर काम किया जाएगा। दरअसल पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है और वह कर्ज की किस्तें और ब्याज तक चुकाने में असफल हो सकता है। वह आईएमएफ से लगातार 6.5 अरब डॉलर के लोन को जारी रखने की मांग कर रहा है, लेकिन अब तक सफल नहीं हो सका है। आईएमएफ के साथ यह डील पाकिस्तान ने 2019 में साइन की थी और इसी महीने के अंत में यह समाप्त होने वाली है।
मित्र देशों से भी मदद की गुहार, राजदूतों संग मीटिंग में बात
हालात यह हैं कि पाकिस्तान ने चीन, सऊदी अरब जैसे देशों से मदद की गुहार लगाई है। पिछले दिनों पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने कुछ देशों के राजदूतों के साथ मीटिंग की थी, जिसमें आईएमएफ की रुकी हुई डील को दोबारा शुरू कराने के लिए समर्थन की मांग की थी।