भोपाल
प्रदेश की महिला पुलिस अफसरों को मैदानी पोस्टिंग में भी आमतौर पर महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों की ही जांच दी जा रही है। यह बात प्रदेश से निकल कर हिमाचल प्रदेश के शिमला तक पहुंची, जहां पर देश के सभी प्रांतों की महिला पुलिस अफसर मौजूद थी। शिमला के बाद मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में भी में हुए एक सम्मलेन में भी यही बात सामने आई। इसके बाद प्रदेश पुलिस ने यह तय किया है कि महिला पुलिस अफसरों से सभी तरह के मामलों की जांच करवाई जाए।
इस संबंध में एडीजी प्रजा रिचा श्रीवास्तव ने इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नर के साथ ही सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में यह सुनिश्चित करें कि मैदानी में पदस्थ महिला पुलिस अफसरों को महिला अपराधों की जांच के साथ ही अन्य मामलों की जांच दी जाए।
जारी निर्देश में यह साफ किया गया है महिला और बच्चों से जुड़े अपराधों की जांच में यदि बाधा या विपरित प्रभाव नहीं पड़े तो महिला पुलिस अफसरों से अन्य मामलों की भी जांच करवाई जा सकती है।
ऐसे पहुंची बात शिमला तक
बताया जाता है कि पिछले साल 21 और 22 अक्टूबर को शिमला में 10वीं राष्टÑीय महिला पुलिस कांफ्रेंस, ब्यूरो आॅफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट (बीपीआरएण्डडी)ने आयोजित करवाई थी। इस कांफ्रेंस में हर प्रांत की महिला आरक्षक से लेकर पुलिस महानिदेशक स्तर की महिला पुलिस अफसर शामिल हुए थी। जिसमें यह बात सामने आई थी
कि मैदानी पदस्थापना के दौरान महिला पुलिस अधिकारियों को महिलाओं एव बच्चों पर घटित अपराधों के अतिरिक्त अन्य पुलिस जिम्मेदारियों और अपराधों के अनुसंधान नहीं सौंपे जाते हैं। इसके प्रदेश स्तर पर इसी साल 10 से 12 मार्च तक पचमढी में भी महिला पुलिस अफसरों का सम्मेलन फुलवारी हुआ था। इसमें भी इसे लेकर सुझाव सामने आए थे।