नई दिल्ली
चीन अपनी आक्रामक गतिविधियों की वजह से खतरा बना हुआ है. सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में आक्रामकता के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का पूरा फोकस अब उत्तराखंड में सैन्य बुनियादी ढांचा बढ़ाने पर है. ये उस तरह के इलाके हैं, जहां अभी तक किसी तरह के तनाव की खबर नहीं थी.
चीन की सेना लंबे समय से भारत से सटे सीमावर्ती इलाकों में विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख और सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश के पास के क्षेत्रों में गांवों का निर्माण कर रही हैं. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें हैं, जिनसे उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में चीन द्वारा बनाए जा रहे सैन्य गांवों के निर्माण के दावों की पुष्टि होती हैं.
इन सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि चीन बहुत तेजी से सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रहा है. कुछ मामलों में एक महीने के भीतर लगभग 100 स्ट्रक्चर तैयार किए गए. उत्तरकाशी के पुलाम सुमदा से लगभग 40 किलोमीटर दूर इस तरह के सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर अप्रैल से मई 2022 के बीच बने. पूर्व में बाराहोती के पास भी इसी तरह के बुनियादी ढांचे खड़े किए गए.
बता दें कि बाराहोती में चीन और भारत के जवानों के बीच गतिरोध की खबरें आती रही हैं. लेकिन चीन के ये नए बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर अलग-अलग इलाकों में हैं. इससे पता चलता है कि चीन पूरे सेक्टर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है. चीन ने पिछले कुछ समय से भारत और चीन को अलग करने वाले अग्रिम मोर्चों पर आवासीय परिसरों का निर्माण करने पर जोर दिया है. ये आवासीय कॉम्पलेक्स खेल और मनोरंजन की सुविधाओं से लैस हैं लेकिन फिलहाल ये खाली पड़े हैं.
भारत के सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इन सीमावर्ती गांवों में माइग्रेशन ना के बराबर है, जिससे भी पुष्टि होती है कि इन्हें चीन ने सैन्य उद्देश्यों के लिए तैयार किया है.
बता दें कि गलवान घटना के बाद से भारत और चीन लगातार सैन्य वार्ताओं पर जोर दे रहे हैं. पिछले महीने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर तनाव कम करने को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर की वार्ता हुई थी. दिल्ल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) की अगुवाई में वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन ऑन इंडिया चाइना बॉर्डर अफेयर्स (डब्ल्यूएमसीसी) की 27वें दौर की बैठक हुई थी.
भारत और चीन के बीच 18वें दौर की बैठक
पिछले दिनों भारत और चीन के बीच एक बार फिर कोर कमांडर स्तर पर बैठक हुई थी. पूर्वी लद्दाख सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर मुद्दों को हल करने के लिए 18वें दौर की कोर कमांडर वार्ता में शीर्ष अफसर मौजूद थे. सरकारी सूत्रों ने आजतक को बताया था कि भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया था, जबकि सैम रैंक के अधिकारी ने स्थानीय थिएटर कमांड से चीनी पक्ष का नेतृत्व किया था. इससे पहले 17वें दौर की बैठक 20 दिसंबर 2022 को चीनी पक्ष के चुशुल-मोल्दो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर हुई थी.
पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने
भारतीय तैयारियों से निपटने के लिए चीन अपने नए हवाई क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों के साथ लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में अपनी वायु और थल सेना को मजबूत कर रहा है. इतना ही नहीं, चीनियों ने अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे भारतीय विमानों के लिए खतरा पैदा करने के लिए अपनी एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैनात किया है. वहीं, भारत किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिए नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में नए रडार और वायु रक्षा प्रणाली तैनात कर रहा है.
9 दिसंबर 2022 को हुई थी झड़प
बताते चलें कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प को लेकर चीन की सेना ने देर से पहला रिएक्शन दिया था. इस झड़प को लेकर चीन ने भारतीय सेना पर ठीकरा फोड़ दिया था. चीनी सेना ने आरोप लगाया कि भारतीय सेना के जवानों ने अवैध तरीके से विवादित सीमा को पार किया था, जिसकी वजह से झड़प शुरू हुई. हालांकि, मोदी सरकार ने बयान में कहा कि 9 दिसंबर को हुई झड़प में भारतीय सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इस झड़प में किसी भी भारतीय सैनिक का निधन नहीं हुआ है और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है.