भोपाल
चुनावी साल के राज्य सरकार ने प्रदेश में आर्थिक विकास के मुख्य स्त्रोत माने जाने वाले विभागों के सालाना कमाई के टारगेट रिवाइज कर दिए हैं। सभी विभागों से राज्य सरकार को अगले वर्ष 31 मार्च 2024 तक 1 लाख 44 हजार 333 करोड़ रुपए से अधिक की आमदनी चाहिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्व संग्रहण करने वाले प्रमुख विभागों व वित्त अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद यह टारगेट तय किए गए हैं। सभी संबंधित विभाग प्रमुखों से कहा गया है कि वे अपने विभाग के सालाना लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम तेज करें।
प्रदेश में सरकार की आमदनी बढ़ाने वाले प्रमुख विभागों में वाणिज्यिक कर के अलावा खनिज साधन, परिवहन, ऊर्जा, वन, राजस्व, नर्मदा घाटी विकास, जल संसाधन और लोक परिसंपत्ति विभाग शामिल हैं। सबसे अधिक राजस्व वाणिज्यिक कर विभाग से आता है जिसके अधीन जीएसटी, स्टांप शुल्क और पंजीयन तथा आबकारी महकमे आते हैं। यही विभाग प्रमुख आर्थिक स्त्रोत भी हैं। वित्त वर्ष के लिए मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में हुई दो अलग-अलग बैठकों के बाद अब सभी विभागों के चालू वित्त वर्ष के वार्षिक लक्ष्य तय कर दिए गए हैं।
इसमें सरकार ने तय किया है कि आबकारी विभाग से 13845 करोड़, राजस्व विभाग से 700 करोड़, लोक परिसंपत्ति विभाग से 500 करोड़, जल संसाधन विभाग से 716 करोड़, नर्मदा घाटी विकास विभाग से 84 करोड़ की वसूली इस साल की जानी है। इसके अलावा ये विभाग अपने पुराने एरियर्स की वसूली भी करेंगे।
इन विभागों के बदल गए टारगेट
सरकार ने नौ विभागों के टारगेट में बदलाव किया है। जिनके टारगेट बदले गए हैं, उनमें वाणिज्यिक कर विभाग को वैट से होने वाली आमदनी के लक्ष्य 19557 करोड़ को बढ़ाकर 20500 करोड़, स्टेट जीएसटी से होने वाली आय का लक्ष्य 32 हजार करोड़ से बढ़ाकर 34 हजार करोड़ किया गया है। स्टांप और पंजीयन शुल्क से पूर्व में 10400 करोड़ की आमदनी प्रस्तावित थी जिसे बढ़ाकर 10700 करोड़ किया गया है।
वहीं जीएसटी संग्रहण के अंतर्गत केंद्र से मिलने वाली आय का आंकड़ा 22738 करोड़ से बढ़ाकर 23500 करोड़, राज्य से होने वाली आय का आंकड़ा 19588 करोड़ से बढ़ाकर 20250 करोड़ कर दिया गया है।
खनिज विभाग के लिए पहले 9 हजार करोड़ का टारगेट था जो अब 9500 करोड़ कर दिया गया है। परिवहन विभाग को पहले 4440 करोड़ कमाकर देना था लेकिन अब 4800 करोड़ कमाकर देना होगा। इसी तरह ऊर्जा विभाग का टारगेट 3858 करोड़ से बढ़ाकर 4200 करोड़, वन विभाग का1650 करोड़ से बढ़ाकर 1700 करोड़ कर दिया है।