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सावधान : स्मार्टफोन पुरुषों को बना रहे हैं नपुसंक? क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स, कैस बच सकते हैं

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नईदिल्ली
स्मार्टफोन और लैपटॉप पुरुषों को नपुंसक भी बना सकते हैं। डॉक्टर्स का दावा है कि स्मार्टफोन या लैपटॉप की वजह से पुरुषों में नपुंसकता की आशंका बढ़ जाती है। इसका कारण है, आपके गैजेट का बार-बार हीट होना। इसका सीधा असर पुरुषों के अंगों पर पड़ता है।

 

डॉक्टर्स के अनुसार, इस हीट के कारण पुरुषों में वीर्य के पतलेपन की आशंका प्रबल हो जाती है। यह बात अमेरिका स्थित क्लींसलैंड क्लिनिक के प्रजनन चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉ. अशोक अग्रवाल ने कही है। उन्होंने बताया ‘भारत में पुरुषों की समस्या की पहचान नहीं हो पाती है और इस कारण उनका इलाज नहीं हो पाता। लगभग 50 प्रतिशत पुरुषों की नपुंसकता का इलाज संभव है लेकिन दुर्भाग्य से इसकी आमतौर पर अनदेखी की जाती है।

डॉक्टर अग्रवाल आगे बताते हैं ‘पुरुषों में वैरिकोसील या अंडकोश की थैली (स्क्रोटम) की नस काफी नाजुक होती है। नपुंसकता इसी नस में सूजन से होती है। वैरिकोसील वृषण का तापमान बढ़ाता है और ये शुक्राणु को विकसित होने में नुकसान पहुंचाता है। शुक्राणु मानकों का परीक्षण करने के लिए अधिकतर फर्टिलिटी सेंटर पर वीर्य विश्लेषण से पूरी बीमारी का पता नहीं चल पाता है।’ यूएस के क्लींवलैंड स्थित अमेरिकन सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के सहयोग से दियोस (डीआईवाईओएस) मेन्स हेल्थ सेंटर की ओर से कॉन्फ्रेंस के द्वारा स्मार्टफोन के दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया।

 क्या है एक्सपर्ट्स का मानना

स्टडी के मुताबिक, मोबाइल का अधिक इस्तेमाल ना सिर्फ आपके स्वास्‍थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि पुरुषों में नपुंसकता की समस्या भी पैदा कर रहा है। ऐसे में कई फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स ने चेताया है कि जो शख्स दिन भर में कम से कम एक घंटा भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा है उसके स्पर्म की संख्या कम होती जा रही है या फिर उनके स्पर्म की क्वॉलिटी में भी भारी गिरावट आ रही है।
रिसर्च का दावा

इस विषय में भारत में पहला अध्ययन 7,700 पुरुषों पर मणिपाल के कस्तूरबा अस्पताल में वर्ष 2008 में किया गया था, जिसमें पुरुषों के स्पर्म क्वालिटी को खराब पाया गया था। वहीं दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एक शोध से पता चला कि तीन दशक के दौरान प्रति मिलीलीटर स्पर्म में शुक्राणुओं की संख्या छह करोड़ से घटकर मात्र दो करोड़ रह गई है। लखनऊ के सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में मौजूद 19,734 स्वस्थ पुरुषों के स्पर्म पर किए एक अध्ययन में पता चला कि वीर्य की संरचना और गतिविधि में सच में गिरावट आई है।