इस्लामाबाद। पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सशस्त्र बलों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से एक चुनौती बना हुआ है। वहां सुरक्षा बलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। सशस्त्र बल आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन (आईबीओ) पर जोर दे रहे हैं।
बलूचिस्तान, बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे आतंकवादी संगठनों का केंद्र रहा है, जिसकी प्रांत के उत्तरी क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति है।
ग्वादर बंदरगाह और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) मार्ग के कारण भी बलूचिस्तान आकर्षण का केंद्र है, जिसकी सुरक्षा पाकिस्तानी सेना द्वारा सुनिश्चित की जाती है। सीपीईसी रूट और ग्वादर पोर्ट पहले भी आतंकी हमलों का निशाना रहे हैं, जिसमें कई विदेशी नागरिकों की जान भी गई है।
बलूचिस्तान की संवेदनशील स्थिति भी स्थापित की जा सकती है। क्योंकि यह अफगानिस्तान से चमन और नए खुले स्पिन बोल्डक-चमन के माध्यम से दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए जुड़ा हुआ है। हालांकि, झरझरा सीमा सीमांकन में बदमाशों और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही और सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच भारी गोलीबारी की कई घटनाएं देखी गई हैं।
जहां एक ओर अफगानिस्तान के साथ खतरनाक सीमा रेखा बड़ी चुनौती पेश करती है, वहीं पाक-ईरान सीमा पर भी पूर्व में सीमा पार से गोलीबारी की घटनाएं होती रही हैं।
पाकिस्तान-ईरान सीमा सैकड़ों-हजारों शिया तीर्थयात्रियों के आवागमन का एक मार्ग भी है, जो हर साल ईरान जाते हैं।
बलूचिस्तान निस्संदेह पाकिस्तान का सबसे उपेक्षित प्रांत है, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं, पानी और आश्रय की कमी अभी भी यहां के स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
हाल ही में आई बाढ़ ने पाकिस्तान को प्रभावित किया और देश के कम से कम 2/3 हिस्से को नुकसान पहुंचाया। बलूचिस्तान सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
विशेषज्ञों का कहना है कि बलूचिस्तान, पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। अफगानिस्तान और ईरान के साथ झरझरा इलाका पाकिस्तान सरकार और उसके सुरक्षा बलों के लिए इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति सुनिश्चित करने को और भी चुनौतीपूर्ण बना देता है।