नई दिल्ली। शहरी झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन (केएससीएफ) के प्रमुख कार्यक्रम बाल मित्र मंडल (बीएमएम) ने पुणे की झुग्गी बस्तियों के सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए एक मुहिम चलाई है। इस पहल के दौरान बीएमएम इन बच्चे झुग्गी बस्तियों व लालबत्तियों पर ‘स्ट्रीट क्लासेज’ यानी ‘सड़क कक्षाएं’ लगाएंगे और उन्हें स्कूल में दाखिला लेने के लिए प्रेरित करेंगे।
बीएमएम की बाल परिषद की ओर से गर्मी की छुट्टियों के दौरान एक अवकाशकालीन पहल के तौर पर ‘बैक पैक हीरोज’ नाम से यह अभियान शुरू हुआ। ये बाल नेता खुद पुणे की झुग्गी बस्तियों से हैं और वे चाहते हैं कि उनके जीवन में जो परिवर्तन आए हैं और आज वो जिन उम्मीदों से भरे हैं, वही बदलाव इन बच्चों के जीवन में भी देखने को मिलें।
ये बाल नेता छुट्टियों के दौरान मिले समय का उपयोग लाल बत्तियों पर मलिन बस्तियों के बच्चों के साथ बिताने में इस्तेमाल करेंगे। इस दौरान वे उन बच्चों को शिक्षा के अधिकार के बारे में जानकारी देंगे और उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेंगे। सड़क कक्षाओं के इस अनूठे विचार के क्रियान्वयन के लिए जरूरी पैसों की व्यवस्था भी इन्हीं बच्चों ने की है और सड़क पर तमाम लोगों को इस अभियान से जोड़ने के लिए उनकी योजना एक ‘करुणा चक्र’ बनाने की है।
केएससीएफ के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर राकेश सेंगर बताया कि यह अभिनव पहल सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों की मदद और उन्हें शिक्षित करने की दिशा में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाने के साथ इन बाल नेताओं को दूसरों के प्रति सहानुभूतिशील बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा कि यह पहल निश्चित रूप से बड़े बदलावों की ओर ले जाएगी और उस सहानुभूतिशील समाज के सृजन में सहायक होगी जिसके लिए हम प्रयासरत हैं।
इस पहल के तहत दस बच्चे जिनके साथ वरिष्ठ कार्यकर्ता भी रहेंगे, दस जगहों पर जाएंगे। वहां एक बच्चा पढ़ाएगा जबकि दो बच्चे उसकी बातों को दूसरे बच्चों को समझाने में मदद करेंगे। इस दौरान वे सड़क पर रहने वाले बच्चों के नाम, उम्र और स्कूल जाते हैं या नहीं जैसी अन्य जानकारियां भी इकट्ठा करेंगे। इसके साथ कला, संगीत और नाटकों के जरिए बच्चों को गणित, विज्ञान और अंग्रेजी सिखाने के अलावा उन्हें कलम, पेंसिल, किताबें और ड्राइंग शीट भी दी जायेगी।
बीएमएम बाल मजदूरी और बच्चों को यौन शोषण से बचाने के साथ ही लोकतांत्रिक कार्रवाइयों और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से उनके अधिकारों की सुरक्षा और शिक्षा, पेयजल, सफाई और आजीविका जैसी चीजों के प्रति जागरूकता पैदा कर बच्चों और उनके समुदाय के सशक्तीकरण के प्रयासों में जुटा है।