मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत को लेकर आज ‘सुप्रीम’ फैसला होना है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गुरुवार को उद्धव ठाकरे गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी. पिछले साल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर बीजेपी के सहयोग से सरकार बना ली थी, लेकिन ठाकरे गुट ने इसे लेकर अदालत में चुनौती दी थी.सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा, जिसका महाराष्ट्र की राजनीति पर प्रभाव पढ़ना तय है.
महाराष्ट्र का मामला क्या है?
पिछले साल जून के महीने में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 15 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी. शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायकों ने पहले सूरत फिर गुवाहाटी में जाकर ठहरे थे. उस समय उद्धव ने शिंदे को वापस आने और बैठकर बातचीत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसे शिंदे ने स्वीकार किया नहीं और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. राज्यपाल ने शिंदे-बीजेपी गठबंधन सरकार को मान्यता देकर शपथ दिला दी थी.
ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए याचिका दायर की थी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इसे संविधान पीठ में ट्रांसफर किया गया. पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 17 फरवरी को दोनों गुटों की याचिकाओं पर सुनवाई की. 21 फरवरी से कोर्ट ने लगातार 9 दिन यह केस सुना था. 16 मार्च को सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब इसी मामले पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा.
कोर्ट अगर शिंदे और उनके विधायकों को अयोग्य करार दे देता है तो महाराष्ट्र में क्या सियासी हालात बनेंगे और अगर विधायकों को अयोग्य नहीं मानती है तो फिर क्या होगा? ऐसे में सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी है. महाराष्ट्र विधानसभा के आंकड़े को भी समझना होगा और अदालत के फैसला का क्या असर होगा?
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. जिसमें बहुमत के लिए 145 का जादुई आंकड़ा छूना जरूरी है. फडणवीस-शिंदे सरकार के पास फिलहाल 162 विधायकों का समर्थन हासिल है जबकि महा विकास आघाड़ी के पास 121 विधायक हैं. इसके अलावा 5 अन्य विधायक हैं.
2019 में क्या रहे चुनावी नतीजे?
साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 में से सबसे ज्यादा 105 सीटें बीजेपी को मिली थीं। उसके बाद शिवसेना (अविभाजित) को 56 सीटें मिली थीं. एनसीपी को 53 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. बहुजन विकास अघाड़ी को तीन, समाजवादी पार्टी को दो सीटें, प्रहार जनशक्ति पार्टी को दो सीटें मिली थीं. पीडब्ल्यूपीआई को एक और निर्दलीय को आठ सीटें मिली थी.
उद्धव ठाकरे ने बनाई जब सरकार?
साल 2019 चुनाव नतीजे के बाद मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना की दावेदारी के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन टूट गया था और उद्धव ठाकरे ने अपने वैचारिक विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी, जिसे सपा ने भी समर्थन दिया था. हालांकि, ढाई साल के बाद जून 2022 में शिंदे ने 15 शिवसेना विधायकों के साथ बगावत कर दी थी और पार्टी के 25 विधायकों ने बाद में साथ दिया था. इस तरह शिंदे के साथ 40 विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिलाया और शिंदे मुख्यमंत्री बने.
शिंदे-फडणवीस को 162 का समर्थन?
NDA में शामिल दल महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं. सियासी समीकरणों और दलीय स्थिति पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन के साथ जो दल हैं उनके विधायकों की संख्या 162 हैं, जो इस प्रकार है-
1- भाजपा- 105
2- शिवसेना (शिंदे गुट)- 40
3- प्रखर जनशक्ति पार्टी- 2
4- अन्य दल- 3
5- निर्दलीय 12
एमवीए के पास 121 विधायक
वहीं विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) की बात करें तो उनके पास कुल 121 विधायक हैं जिसमें सर्वाधिक विधायक (53) एनसीपी के हैं. एमवीए गठबंधन में शामिल दलों और उनके विधायकों की संख्या इस प्रकार है-
1- एनसीपी- 53
2- कांग्रेस- 45
3- शिवसेना (उद्धव गुट)- 17
4- सपा- 2
5- अन्य दल- 4
पांच विधायकों का किसी को समर्थन नहीं
इसके अलावा, पांच विधायक किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इसमें बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायक और एआईएमआईएम के 2 विधायक हैं, जो ना तो एमवीए गठबंधन का हिस्सा हैं और ना ही एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.
अदालत के फैसले के बाद क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकनाथ शिंदे के पक्ष में जाता है तो यह बड़ी राजनीतिक जीत होगी. इसके साथ ही वह राज्य में लंबी पारी की तरफ जाने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे. वहीं, सुप्रीम कोर्ट आज अगर शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा देता है तो फिर सियासी संकट गहरा जाएगा. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री शिंदे को अपना इस्तीफा देना होगा, क्योंकि उद्धव के द्वारा दायर की गई अयोग्य ठहराए जाने वाले विधायकों की याचिका में उनका भी नाम शामिल हैं.
शिंदे-बीजेपी सरकार को फिलहाल 162 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिसमें शिवसेना (शिंदे गुट) के 40 विधायक हैं. इस फेहरिश्त से 16 विधायक आयोग्य ठहरा दिए जाते हैं तो फिर यह आंकड़ा घटकर 26 ही रह जाएगी जबकि उद्धव गुट के पास 17 विधायक हैं. इस स्थिति में उद्धव ठाकरे से अलग होकर अलग पार्टी के दर्जे के लिए शिंदे गुट को कम से कम 30 विधायकों का आंकड़ा होना चाहिए, जो फिलहाल नहीं है. ऐसे में शिंदे गुट के विधायकों को दलबदल कानून का सामना करना पड़ सकता है.