मुंगेली/ मुख्यमंत्री या पार्टी आलाकमान मुखिया के आने पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों द्वारा खुद को उनका चहेता दिखाने मीडिया में विज्ञापन दिया जाता हैं, परंतु मुंगेली में लगभग 2 वर्षों से अलग मीडिया को खुश करने का काम कुछ तथाकथित अधिकारी कर रहे हैं ताकि उनकी प्रशासनिक कमियों तथा उनकी नाकामियों को कुछ हद तक छिपाया जा सके, और उनकी झूठी महिमामंडन कर सके, यह बात हम नहीं जिले की जनता कह रही हैं।
आम जनता में यह चर्चा होते सुना गया कि मुख्यमंत्री के आगमन के समय आखिर जिला प्रशासन के पास फंड कहाँ से आता हैं जिसके चलते वे कुछ गिने चुने मीडियाकर्मियों को विज्ञापन देकर मैनेजमेंट का खेल करती हैं, मुख्यमंत्री के आगमन के समय कई विभागों के अधिकारियों की पीड़ा छलक उठती हैं जिन्हें मीडिया मैनेजमेंट में बड़ी राशि सहयोग के रूप में देनी पड़ती हैं, जिसका संकलन एक बड़ा अधिकारी करता हैं, जिसके ऊपर कई आरोप लग चुके हैं। जनता के बीच हो रहे इस चर्चे के बाद कई मीडियाकर्मियों द्वारा 8 मई को मुख्यमंत्री के मुंगेली जिला आगमन पर जिले की मुख्य समस्याओं और भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। पत्रकारों ने बताया कि पिछली बार मुख्यमंत्री के मुंगेली आगमन पर एक अखबार में जिला प्रशासन के अधिकारी का नाम विज्ञापनदाताओं के अनुसार प्रकाशित हो गया था, विज्ञापनदाता अधिकारी द्वारा मुंगेली जिला, जिलेवासी जैसे शब्दों का प्रयोग कर अपने नाम को सामने लाने से बचते हैं, परंतु कुछ मीडिया के पास ऐसे प्रमाण हैं जिससे यह सिद्ध हो जाएगा कि कौन सा विज्ञापन अधिकारियों द्वारा प्रदत्त हैं।
पीड़ित पत्रकार को मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया…
आपको बता कि मुंगेली जिले के जरहगांव में हाल ही में 30 अप्रैल को मुख्यमंत्री भुपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम में आये थे, उसके बाद मुंगेली सर्किट हाउस में विभिन्न समाजों, जनप्रतिनिधियों से मुलाकात भी किये थे उसी दौरान मुंगेली के एक पीड़ित पत्रकार संतोष पाठक को मुख्यमंत्री से मिलने से रोका गया, क्योंकि कुछ अधिकारियों को डर था कि वो उन अधिकारियों की शिकायत न कर दे, क्योंकि पीड़ित पत्रकार संतोष पाठक ने बताया कि पूर्व में मुख्यमंत्री भुपेश बघेल मुंगेली दौरे में थे तो उनके द्वारा दुकान दिलाने की मांग की गई थी जिसके चलते मुख्यमंत्री ने उन्हें दुकान दिलाने आश्वासन दिया था तथा अधिकारियों को भी निर्देशित किया था,परंतु मुख्यमंत्री के बोलने के लंबे समय बाद भी उस पीड़ित पत्रकार को दुकान नहीं दिलाया गया। जिसके चलते वह सोशल मीडिया में “मुख्यमंत्री से मिलने रोका गया”…मुख्यमंत्री के आदेश का पालन नहीं…. जैसे मेसेज पोस्ट किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री को जमीनी हकीकत समझनी होगी, न कि प्री प्लानिंग के तहत तैयार किये गए वक्ताओं की। जानकारी मिली हैं कि आज मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक में मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के आगमन पर फिर पीड़ित पत्रकार अपनी गुहार लगाने जाएगा, देखना यह हैं कि अधिकारियों द्वारा फिर उन्हें रोका जाता हैं या मुख्यमंत्री से मिलने दिया जाता हैं ?
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