रायपुर। हाल ही में डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के अस्थि रोग विभाग में डॉक्टरों की टीम ने एक बड़ी सर्जरी करते हुए मरीज को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से राहत पहुंचाई। बलौदाबाजार निवासी 13 वर्षीय बच्चे के दाएं पैर में घुटने के ऊपर कैंसर (ओस्टियोसाकोर्मा) को निकाल करके उसमें मेगाप्रोस्थेसिस (धातु से निर्मित कृत्रिम अंग) लगा कर मासूम के पैर को कटने से बचाया। यह इस तरह का छत्तीसगढ़ के किसी भी सरकारी अस्पतालों में अब तक होने वाला पहला आॅपरेशन है। इस सर्जरी को मेगाप्रोस्थेसिस लिम्ब साल्वेज सर्जरी कहते हैं। इस सर्जरी की विशेषता हैं कि इसमें केवल कैंसर ग्रस्त अस्थि को सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है तथा स्वस्थ मांसपेशियों को बचा लिया जाता है इसलिए इसे लिम्ब सॉल्वेज (अंग बचाने वाली) सर्जरी कहते हैं।
बालक का आॅपरेशन करने वाली टीम में अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. (प्रो.) विनीत जैन, डॉ. संजय नाहर जैन, डॉ. पुरुषोत्तम बघेल, डॉ. गौरव परिहार, डॉ. मुरारी साहू, डॉ. प्रीतम प्रजापति, डॉ. सिद्धार्थ कुमार, डॉ. शुभम, डॉ. अजिन एवं निश्चेतना विभाग से डॉ. ओमप्रकाश शामिल रहे।
ऐसे हुआ उपचार
सबसे पहले मरीज को कीमोथेरेपी दी गई जिससे कैंसर के फैलाव को रोका जा सके। मरीज को कैंसर विभाग में संचालक क्षेत्रीय कैंसर संस्थान डॉ. (प्रो.) विवेक चौधरी एवं डॉ. राजीव रतन जैन की टीम ने देखा तथा कीमोथेरेपी दिया गया। उसके बाद अस्थि रोग विभाग के डॉक्टरों द्वारा मेगा प्रोस्थेसिस रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई जिसमें तीन प्रक्रियाओं द्वारा सर्जरी करके स्वस्थ मांसपेशियों को बचाते हुए कैंसर ग्रस्त अस्थि को सर्जरी द्वारा निकाल दिया गया। उसके बाद शरीर से निकाले गये रोगग्रस्त हिस्से को भरने या गैप को दूर करने के लिए टाइटेनियम धातु से निर्मित कृत्रिम अंग का प्रत्यारोपण किया गया।
क्या है ओस्टियोसाकोर्मा
प्राथमिक अस्थि/हड्डी के कैंसर को साकोर्मा कहा जाता है। साकोर्मा कैंसर वो होते हैं जो हड्डी, मांसपेशी, रेशेदार ऊत्तक, रक्त वाहिकाओं, वसा ऊत्तकों के साथ ही कुछ अन्य ऊत्तकों में शुरू होते हैं। यह आमतौर पर हाथ और पैर जैसी बड़ी हड्डियों के सिरों पर शुरू होता है। ओस्टियोसाकोर्मा अक्सर 10 से 30 वर्ष की उम्र के बीच के लोगों में होने की संभावना सर्वाधिक होती है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं मिला तो गंभीर स्थिति निर्मित हो सकती है।