ब्रिजिंग द गैप फ्राम पॉलिसी टू प्रेक्टिस फॉर वूमेन्स इंपावरमेंट इन मध्यप्रदेश पर कार्यशाला में वक्ताओं के विचार
भोपाल। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नई योजनाएँ संचालित हैं। फील्ड में इनके बेहतर क्रियान्वयन की जरूरत है। विकसित भारत की कल्पना तभी पूरी होगी जब महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर मिलेंगे। ऐसे विचार वक्ताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा “ब्रिजिंग द गैप फ्राम पॉलिसी टू प्रेक्टिस फॉर वूमेंस इम्पॉवरमेंट इन मध्यप्रदेश” पर कार्यशाला में व्यक्त किए।
संस्थान के सीईओ स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा कि योजनाओं और नीतियों का लोकव्यापीकरण होना चाहिए। समाज में ऐसा माहौल बने कि महिलाएँ अपनी समस्याएँ बेझिझक बता सकें। जेंडर डिसक्रिमिनेशन समाप्त करने में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इसकी शुरूआत घर से करें।
लाड़ली योजना से स्कूलों में बढ़ा बालिकाओं का इनरोलमेंट
जिला पंचायत खरगोन की सीईओ सुज्योति शर्मा ने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना से स्कूलों में बालिकाओं का इनरोलमेंट बढ़ा है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण महिलाओं के मुद्दे अलग हैं। इन्हें समग्र रूप से देखने की जरूरत है। उन्होंने भगोरिया का भी उल्लेख किया। सुशर्मा ने कहा कि सरकार की योजनाओं के कारण विवाह की औसत उम्र बढ़ कर लगभग 18-19 वर्ष हो गयी है। इसे 21-22 तक लाना जरूरी है। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, पोषण, आर्थिक और राजनैतिक स्थिति के बारे में भी विस्तार से बताया। सुशर्मा ने कहा कि उनका संकोच कई बार उनके पिछड़ेपन का कारण बनता है। महिलाओं के लिये नौकरी सिर्फ पैसे के लिये नहीं बल्कि आइडेंटिटी के लिये भी जरूरी है।
एआईजी श्रीमती पिंकी जीवनानी ने कहा कि निर्भया घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिये कई प्रावधान किये गये हैं। वन स्टाप सेंटर उन्हीं में से एक है। सभी जिलों में महिला थाने बन चुके हैं। यहाँ पर घरेलू हिंसा और ह्यूमन ट्रेफिकिंग पर त्वरित कार्यवाही होती है। नाबालिग बच्चों को ढूँढने के लिये चलाये गए ऑपरेशन मुस्कान के साथ ही ऑपरेशन सम्मान और ऑपरेशन अभिमन्यु के बारे में भी बताया।
डायरेक्टर एम.पी. टूरिज्म बोर्ड मनोज सिंह ने महिलाओं के लिये सुरक्षित पर्यटन स्थल की पॉलिसी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि समुदाय की सहभागिता होगी तो योजना का क्रियान्वयन बेहतर होगा।
राज्य महिला आयोग की सचिव श्रीमती तृप्ति त्रिपाठी ने कहा कि योजनाओं के प्रभाव से ही बाल विवाह न्यूनतम हो गये हैं। उन्होंने जेंडर बजट के बारे में भी चर्चा की। संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास सुरेश तोमर ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि ब्लेम गेम की जगह काम करने की जरूरत है। संस्थान के प्रमुख सलाहकार मनोज जैन ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया।