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राईस मिलों में मजदूरों की जान खतरे में…पर्यावरण एवं सुरक्षा मानकों की अनदेखी…संबंधित विभाग व अधिकारी मौन…कस्टम मिलिंग मामले में पहले भी हो चुकी हैं उपलेटा राईस पर कार्यवाही…

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मुंगेली/ मुंगेली जिले के बिलासपुर रोड स्थित राईस मिलों और उपलेटा राईस मिल द्वारा उनके मिलों में कार्य कर रहे मजदूरों के जीवन रक्षक संबंधी उपायों में लापरवाही बरती जा रही है, जिसके कारण मजदूरों की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं एवं उनके जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेली के उपलेटा राईस मिल सहित बिलासपुर रोड स्थित जिले की अंतिम सीमा तक स्थित राईस मिलों में मजदूरों के सुरक्षा मानकों को दरकिनार किया जा रहा हैं, साथ ही इन मिलरों द्वारा कार्यरत् मजदूरों का शोषण कर आवश्यकता से अधिक कार्य लिया जा रहा है, और इस बात का विरोध मजदूर नहीं कर सकता क्योंकि कहीं न कहीं उसके परिवार की रोजी रोटी उसके उस मजदूरी पर ही निर्भर होती हैं। इन राईस मिलों में मजदूरों के लिये किसी भी प्रकार के सुरक्षा के उपाय नही किये गये है उल्टा उन्हें अपने मिलों में जोखिम भरे कार्य करने दबाव डाला जाता है जिसके चलते किसी भी मजदूरों के साथ कभी भी किसी प्रकार की कोई दुर्घटना हो सकती है, ऐसे में उस मजदूर परिवार को कुछ राशि का मुआवजा देकर उसके परिवार को ढांढस बंधाने का कार्य किया जाता हैं। जानकारों की माने तो इन राईस मिलों के मालिक कहीं न कहीं किसी राजनीतिक दल से संबंध रखते है जिसके चलते इनके राईस मिलों में विभागीय रूटिंग जाँच नहीं हो पाती, तथा ये मिल मालिक कमाई का बड़ा हिस्सा अधिकारियों को चुप रहने के एवज में भी खर्च करते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेली के उपलेटा राईस मिल सहित बिलासपुर रोड स्थित राईस मिल ऐसे भी है जहां के मशीनों के पुर्जे इतने जर्जर हो चुके है कि कभी भी किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना घटित हो सकती है, और वहां काम कर रहे श्रमिक अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं, और इसकी जांच विभाग द्वारा भी नहीं की जाती है। उसी प्रकार ये राईस मिल पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंचा रहे हैं, जिसके संबंध में राजनीतिक और सामाजिक संस्था से जुड़े लोग ज्ञापन देकर शिकायत करने के मूड में हैं। जानकारी के अनुसार इन राईस मिलों में मानक और नियमानुसार फायर सेफ्टी का भी इंतजाम नहीं किया गया हैं, साथ ही मिल में मशीन ऑपरेटर के पद पर योग्यता धारी ट्रेंड लोगों को रखा जाता है, पर इस मिलों में मालिक ने अंट्रेंड और बिना योग्यता धारक को कम वेतन के लालच में रख लिया हैं। उसे सुरक्षा के पर्याप्त संसाधन भी मुहैय्या नहीं कराई गई हैं। जिसकी जांच होना बहुत जरूरी हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में मुंगेली के उपलेटा राईस मिल सहित कुछ राईस मिलों में खाद्य विभाग की टीम ने छापेमारी की थी जिसमें कस्टम मिलिंग का चावल जमा करने में लापरवाही बरतने पर कार्यवाही करते हुए अनाधिकृत धान को जप्त भी की गई थी, मामले में अधिकारियों द्वारा एफआईआर दर्ज कराने और मिलों को सीलबंद करने तक की बात कही गई, इस मामले में कार्यवाही की प्रगति को लेकर जानकारी ली जा रही हैं, परंतु संबंधित अधिकारी से संपर्क नहीं हो पा रहा हैं। मुंगेली में यह चर्चा का विषय बना हुआ हैं कि इस मामले को रफादफा करने कई नेता, जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए थे। अब देखना हैं कि संबंधित विभाग इन राईस मिलों पर नकेल कब कसती हैं ?