भोपाल। मध्य प्रदेश के 10,000 से ज्यादा सरकारी डॉक्टर बुधवार से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। मंगलवार के दिन सभी ने सांकेतिक हड़ताल की थी और आज पूरी तरह से हड़ताल कर सरकार के सामने अपनी मांगों के संबंध में प्रदर्शन करने वाले हैं। इस हड़ताल का असर प्रदेश के भोपाल और इंदौर समेत प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल और प्राथमिकी केंद्रों पर पड़ने वाला है। जिसके चलते गंभीर रूप से बीमार मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
वहीं, देररात तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग हड़ताल की विपरित परिस्थतियों से निटपने के लिए चर्चा करते रहे। सरकार की तरफ से हड़ताल से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। इसमें सरकारी अस्पतालों में आयुर्वेद और होम्योपैथी डॉक्टरों को तैनात किया गया।
हड़ताल में प्रदेश भर के 10 हजार डॉक्टर्स समेत 3300 जूनियर डॉक्टर्स, 1400 एनएचएम संविदा डॉक्टर्स और 1050 बोंडेड डॉक्टर्स आंदोलन में शामिल है। मध्य प्रदेश चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारियों ने सरकार से बातचीत नहीं बनने पर एकजुटता के साथ हड़ताल जाने की बात कहीं। इससे पहले मंगलवार को सरकार से बातचीत में कुछ मांगों पर सहमति बन गई है। हालांकि डाक्टर्स डीएपीसी की मांग पर अड़े हुए हैं।
डॉक्टर्स की हड़ताल से प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था ठप होने से मरीजों की मुश्किलें बढ़ेगी।डॉक्टर्स हड़ताल के दौरान ना ऑपरेशन करेंगे ना ही इलाज। सोमवार से शुरू हुई हड़ताल में पहले दिन डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर काम किया था। दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर 11 बजे से 1 बजे तक काम बंद हड़ताल की। इससे कई मरीजों को इलाज के लिए हड़ताल खत्म होने का इंतजार करना पड़ा था।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मंगलवार को एक बयान पर जारी कर कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार हर स्तर पर संवाद स्थापित करने वाली सरकार है। सरकार ने डॉक्टरों की लगभग सभी मांगें मान ली हैं। मरीजों के हित को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों को चाहिए कि वे हड़ताल पर ना जाएं। मंत्री ने कहा कि पहले की तरह मरीजों का समुचित उपचार करते रहें। जब भी डॉक्टरों ने अपनी बात रखने का प्रयास किया, हमने उस पर पूरी तरह सहमति व्यक्त की। हमने कमेटी बनाई और उसमें डॉक्टरों की मांगों को लेकर विचार विमर्श किया। सरकार हर वर्ग के कल्याण और उसे लाभ दिलाने के लिए काम करती है। डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से हमारी लगातार बातचीत जारी है। 95% मांगों पर सहमति हो गई है। डॉक्टर मरीजों के हित में काम करते हैं और उनके हित में अपनी सेवाएं देते रहें।
क्या बोले डॉक्टर्स
बैठक के दौरान चिकित्सकों ने मंत्रियों से यह साफ कह दिया है कि जब तक केंद्र के समान डीएसपी लागू करने की मांग पूरी नहीं की जाती है, तब तक वह हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। इसपर मंत्रियों ने कमेटी के साथ 1 2 मीटिंग और करने और उसके बाद फैसला लेने की बात कही, तो डॉक्टर्स का कहना था कि बैठक करते-करते चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी और ऐसा कहकर सभी बाहर आ गए।
क्या बोले CM शिवराज
मंत्रियों द्वारा कोशिश किए जाने के बाद भी हड़ताल खत्म करने का कोई निराकरण नहीं निकला है। इसी को देखते हुए देर रात सीएम शिवराज ने एक वर्चुअल मीटिंग के जरिए कलेक्टर और कमिश्नरों से बात की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवा बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होना चाहिए। आकस्मिक सेवाओं के संचालन में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं की जानी चाहिए। डॉक्टरों की हड़ताल को अनैतिक बताते हुए इस पर कार्रवाई किए जाने के प्रावधान के बारे में भी चर्चा की है।
सीएम ने कहा कि चिकित्सा सेवा बिना किसी परेशानी के जारी रहना चाहिए। मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में व्यवस्था बनाएं, पीजी डॉक्टर्स की मदद लें, सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्बाध सेवाएं जारी रहनी चाहिए।
पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस की व्यवस्था सहित आयुष्मान योजना में निजी अस्पताल में इलाज का खर्चा सरकार द्वारा वहन करने की बात भी गई है। निजी अस्पतालों से चर्चा और चिकित्सकों से संवाद का प्लान भी बनाया गया है। इस मामले में चिकित्सा अधिकारियों का कहना हैं कि चिकित्सक संघ कि 95 प्रतिशत बातें मान ली गई है, उसके बावजूद भी हड़ताल की जा रही है।