भोपाल। राजगढ़ में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन और एमएसएमई के लोन में लगभग 15 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला बैंक के अंदर किया गया। इस मामले में केनरा बैंक के दो अफसरों समेत बिचोलिया की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। सीबीआई की भोपाल यूनिट ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। वहीं बैंक ने भी दोनों अफसरों को निलंबित कर दिया है। इसमें बैंक अफसर ने अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के नाम पर लाखों की राशि हस्तांतरण कर दी।
जानकारी के अनुसार राजगढ़ के केनरा बैंक में एमएसएमई का यह घोटाला वर्ष 2017 से 2020 के बीच हुआ। जिसमें बैंक तत्कालीन प्रबंधक अमरेंद्र कुमार तिवारी ने एमएसएमई के 87 लोन के मामलों में लगभग चार करोड़ का लोन स्वीकृत किया। इसमें बिचोलियों के जरिए इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। इसमें जिन्हें लोन दिया गया उन्होंने कोई इकाई स्थापित नहीं की। ऐसे 49 मामले में बैंक की जांच में सामने आए हैं। इसमें अमरेंद्र कुमार तिवारी ने अपनी पत्नी और कुछ रिश्तेदारों के विभिन्न बैंक खातों में आॅनलाइन हस्तांतरण और नकद राशि जमा की। इसमें बैंक की जांच में बिचोलिये हिम्मत सिंह की संलिप्तता का पता चला है।
केसीसी में साढ़े सात करोड़ के मामले सामने आए
वहीं इसी के साथ किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन दिए जाने के मामले में भी साढ़े सात करोड़ रुपए का घोटाला सीबीआई के सामने आया है। यह घोटाला भी राजगढ़ के केनरा बैंक में हुआ। जिसमें 470 केसीसी लोन में घोटाला किया गया है। जिसमें 7.44 करोड़ रुपए की देनदारी बाकी है। इसमें भी बिचोलियों की भूमिका सामने आई है। इसमें भी बैंक के अफसर रामू लोधी की भूमिका संदिग्ध हैं। उन्होंने भी अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के खाते में नकद राशि जमा की है। इसमें राजगढ़ के ग्राम बांकपुरा के बनकट सेन की भूमिका की भी जांच सीबीआई कर रही है।