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राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का संरक्षण अति महत्वपूर्ण

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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, विधिक सेवा प्राधिकरण, यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में किशोर न्याय अधिनियम, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण और बाल संरक्षण से संबंधित विषयों पर राजधानी रायपुर में कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का संरक्षण और उनके सर्वांगीण विकास में सबकी सहभागिता जरूरी है।
कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष गौतम भादुड़ी ने कहा कि आपको बालकों के कल्याण के लिए कार्य मिला है। यह विशेष कार्य है, जिसे भगवान भी देख रहे हैं। आप के बहुत सारे दोस्त एवं परिचित होंगे जिन्हें यह मौका ही नहीं मिला है। हमें यह पुण्य अवसर मिला है इसे हमें सार्थक करना है। जिस प्रकार हम अपने बच्चों को बेहतर और खुशहाल देखना चाहते हैं, उसी प्रकार पीड़ित और अपचारी बच्चों को भी देखें, इससे मन को संतुष्टि मिलेगी।
न्यायमूर्ति भादुड़ी ने आगे कहा कि बाल संरक्षण लैंगिक उत्पीड? के लिए एक्ट तो बना है। लेकिन उसका क्रियान्वयन हो रहा है, यह भी देखना जरूरी है। उन्होंने पंचतंत्र की एक कहानी सुनाई कि एक गरीब व्यक्ति को कुछ आटा मिल जाता है और वह सपना देखने लग जाता हैं कि वह उसे बेचकर बकरी खरीद लेगा, फिर बकरी के दूध को बेचकर धीरे-धीरे अमीर हो जाएगा। इसी समय नींद में उसका पांव आटे पर पड़ता है और आटा बिखर जाता है। ऐसा बच्चों को नहीं लगना चाहिए कि यह एक ड्रीम है। उन्होंने एक और कहानी बताया कि एक व्यक्ति को कहीं जाना था। उसने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा कि आप मुझे रास्ता बताए। स्वामी जी ने कहा कि रास्ता आपके पैरों के नीचे है जो आपको अपनी मंजिल तक ले जाएगा। आप सभी अधिकारियों-कर्मचारियों अथवा इस सेवा से जुड़े लोगों से मेरा अनुरोध है कि आपको अवसर मिला है, आप बच्चों के संरक्षण के लिए बेहतर कार्य कर सकते हैं। न्यायमूर्ति ने बाल संरक्षण एवं लैंगिक अपराध जागरूता एवं नियंत्रण की दिशा में बेहतर कार्य के लिए प्रसन्नता जाहिर की।