महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में शिवसेना पार्टी पर दावे की लड़ाई में एकनाथ शिंदे खेमे को बड़ी सफलता मिली थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों एकनाथ शिंदे के खेमे को दे दिया। इस सफलता के बाद एकनाथ शिंदे के खेमे ने दावा किया है कि विधायक दल पर भी उनका अधिकार है क्योंकि यह अभिन्न और संगठित रूप से राजनीतिक दल से जुड़ा होता है। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ के सामने विधायक दल पर दावा किया और कहा कि प्रतिद्वंदी नेताओं का अब मंत्रालय मे विश्वास नहीं रह गया है। बता दें कि मंगलवार को शिंदे गुट की ओर से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
शिंदे गुट के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास राजनीतिक बहुमत है, विधायी बहुमत नहीं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट से कई सवाल पूछे और यह समझने की कोशिश की कि आखिर दलबदल और फ्लोर टेस्ट को कैसे अलग किया जाए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर फ्लोर टेस्ट को दसवीं अनुसूचि के उल्लंघन की वजह से किया जा रहा है तो यह इसके पूरे उद्देश्य को विफल कर देता। कोर्ट ने यह समझने की कोशिश की कि क्या दलबदल को आप वैध कहना चाहते हैं जोकि दसवीं अनुसूचि में स्वीकार नहीं है।
वहीं एकनाथ गुट के वकील ने कहा कि हम दसवीं अनुसूचि के अंतर्गत विभाजन नहीं चाहते हैं, हम पार्टी के भीतर बने एक प्रतिद्वंदी गुट की बात कर रहे हैं। यह पार्टी के भीतर असहमति है, यह पार्टी के भीतर लोकंत्रत को दर्शाता है। एनके कौल ने बताया कि यह पार्टी के भीतर आंतरिक असंतोष का मामला है। कोर्ट की ओर से कहा गया कि शिवसेना की ओर से इस बात की भी राज्यपाल को जानकारी नहीं दी गई है कि वह महाविकास अघाड़ी से हट रहे हैं। बता दें कि आज एक बार फिर से इश मामले की सुनवाई होगी। 55 में से 34 शिवसेना विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा है कि हमे पार्टी पर भरोसा नहीं है।