नई दिल्ली। शोधकर्ताओं ने एक अनोखा कम्यूटर आधारित मॉडल विकसित किया है, जिससे पता चलेगा कि किसी विमान पर आकाशीय बिजली कैसे गिर सकती है।
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने इस मॉडल से जो अंतर्दृष्टि प्राप्त की है, वह आकाशीय बिजली से निपटने को लेकर विमानों के लिए बेहतर सुरक्षात्मक उपाय तैयार करने में मदद कर सकती है।
आकाशीय बिजली विमान के लिए खतरनाक हो सकती है। हालांकि, इस क्षेत्र में इस तरह की घटना का अध्ययन करना काफी कठिन है।
आकाशीय बिजली के हमले विमान की सतह को नुकसान पहुंचा सकते हैं, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में अस्थायी व्यवधान पैदा कर सकते हैं या स्थायी क्षति भी पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा गंभीर मामलों में आकाशीय बिजली इंजन के चारों ओर ईंधन-वायु के मिश्रण में आग लगने का कारण बन सकती है, जिससे विस्फोट हो सकता है।
आईआईएससी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर उदय कुमार ने कहा, “आमतौर पर, एक विमान हर 1,000 घंटे में एक बार बिजली की चपेट में आ जाता है।”
आईआईएससी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की एक प्रयोगशाला हाल के वर्षों में इस तरह की घटनाओं की पड़ताल कर रही है।
कुमार ने कहा, “पिछली शताब्दी में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें चीजें बहुत विनाशकारी रहीं।” मौजूदा अध्ययन ‘एटमॉस्फियर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन के अनुसार, विमान को आकाशीय बिजली से बचाने के लिए पहला कदम विमान के सबसे आम क्षेत्रों की पहचान करना है जहां बिजली गिर सकती है या टकरा सकती है।
अध्ययन में कहा गया है कि कुमार और उनकी टीम ने महसूस किया कि इस पहचान के लिए मौजूदा दृष्टिकोण हद से अधिक साधारण है और एक अधिक व्यापक कम्प्यूटर आधारित मॉडल तैयार किया जाना चाहिए।
आईआईएससी टीम द्वारा विकसित मॉडल दो अलग-अलग विमान ज्यामिति पर लागू होता है: एक डीसी10 यात्री विमान और दूसरा एसडीएम लड़ाकू विमान मॉडल।
अध्ययन में कहा गया है कि इसमें विमान के चारों ओर विद्युत क्षेत्र की व्यापक गणना और विद्युत निर्वहन का उपयुक्त मॉडल तैयार करना शामिल है।