नियम कानून को ताक पर रखकर किया गया काम
रायगढ़। जुर्डा में वन विभाग ने कैंपा मदसे तालाब निर्माण में नियम कानून को ताक पर रखकर काम किया है। तत्कालीन अधिकारियो ने उच्च अधिकारियों को अंधेरे में रखकर राजस्व भूमि में कैंपा मद से तालाब के उपर तालाब निर्माण करा दिया। इस बात की पुष्टी पिछले दिनों वन अमले की उपस्थिति में रजस्व विभाग द्वारा किए गए सीमांकन में हुई है।
नियमानुसार देखा जाए तो वन विभाग किसी भी प्रोजेक्ट में काम करने के पहले जीपीएस से अपने क्षेत्र की जांच पहले करती है खास तौर पर वन व राजस्व के बार्डर वाले क्षेत्र में तो सीमांकन कराने के बाद निर्माण का काम शुरू किया जाता है, लेकिन जुर्डा तालाब में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। नीचले स्तर के तत्कालीन रेंजर छोटेलल डनेसना, डिप्टी रेंजर व बीट गार्ड ने उक्त तालाब निर्माण के पहले देखा कि मेड़ में मुनारा आ रहा है इसके बाद भी इस क्षेत्र में निर्माण के पहले सीमांकन कराना उचित नहीं समझे। अधिकारियों की माने तो निर्माण और शिकायत के बाद भी वन विभाग के उच्च अधिकारियों की उपस्थिति में जीपीएस सिस्टम जांच कर वनभूमि का चिन्हांकन करने का दावा किया गया। तालाब के मेड़ के बीच में दो मुनारा दबा हुआ है जिससे यह साफ होता है कि तालाब राजस्व भूमि में बन गया है, लेकिन विभाग के उच्च अधिकारी इसे मानने को तैयार नहीं थे। इसकी शिकायत कलेक्टर से किया गया जिसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम को मौके पर सीमांकन कराने निर्देश दिया। तहसीलदार लोमेश मिरी के निर्देश पर वन विभाग के एसडीएओ, रेंजर व अन्य की उपस्थिति में राजस्व विभाग के आरआई पटवारी की टीम ने पिछले दिनों सीमांकन किया। सीमांकन में टीम ने पाया कि करीब 1.5 एकड़ भूमि राजस्व मद में है। मौके पर वन अमले ने भी टेप से मुनारे के छोर से जांच किया जिसमें पाया कि राजस्व मद की भूमि में निर्माण हुआ है। जांच टीम ने तहसीलदार को सीमांकन रिपेार्ट दे दिया है।
नहीं लिया अनुमति
जानकारों की माने तो वन विभाग या कोई भी राजस्व भूमि में कोई निर्माण करता है तो उसके पहले राजस्व विभाग से अनुमति लेना है, लेकिन यहां तो राजस्व विभाग की कोई अनुमति के लिए विभाग ने आवेदन ही नहीं लगाया है। सीधे-सीधे निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया।
मामले को किया था डायवर्ट
इस मामले में शिकायत के बाद से ही यह मामला सामने आ रहा था कि राजस्व भूमि में तालाब का निर्माण कर दिया गया है , लेकिन वन विभाग मानने को तैयार नहीं थी। इतना ही नहीं लगातार उठ रहे मामले को लेकर विभाग ने अधिक भुगतान करने के मामले में रेंजर, डिप्टी रेंजर व बीट गार्ड पर कार्रवाई कर पूरे मामले को डायवर्ट कर दिया गया था।
रेंजर के पीछे घुमता रहा स्वीकृत तालाब
सूचना के अधिकार के तहत निकाले गए दस्तावेज में इस विभाग का अनोखा कारनामा सामने आया है। खरसिया 1164 पीएफ के लिए स्वीकृत दो तालाब को कागज में बनाकर बिल आहरण कर लिया गया। इसके बाद मामला उठने पर ठेकेदार को ब्लेकलिस्ट कर तत्कालीन रेंजर को सारंगढ़ का प्रभारी रेंजर बना दिया। सारंगढ़ में पदभार संभालते ही खरसिया के उक्त दोनो तालाब स्थल परिवर्तन कर सारंगढ़ 1144 पीएफ के लिए स्वीकृत हो गया। इसके बाद बारिश में काम न होने के कारण राशि आहरित नहीं हुआ और इस बीच प्रभारी रेंजर का ट्रांसफर रायगढ़ प्रभारी रेंजर के रूप में हो गया। जिसके कारण उक्त दोनो तालाब रायगढ़ आ गया। जिसमें एक तालाब जुर्डा में जल संचय मिशन के तहत बने तालाब के उपर बना दिया गया तो दूसरा नेतनांगर में निर्माण किया जा रहा है। जुर्डा में जांच के नाम पर खानापूर्ति की गई तो वहीं नेतनांगर में जांच करना उचित नहीं समझा जा रहा है।
हां शिकायत पर जुर्डा में वन विभाग द्वारा बनाए तालाब का सीमांकन कराया गया है। करीब डेढ़ एकड़ एरिया राजस्व भूमि का है जिसमें पहले से जल संचय मिशन के तहत तालाब बना हुआ था।
लोमेश मिरी, तहसीलदार रायगढ़