भोपाल। ठंड का मौसम शुरू होते ही यूरोप से भोपाल विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं। यूरोप की जमा देने वाली ठंड से बचने यह पक्षी हर साल भोपाल आकर कुछ महीने यहीं गुजारते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से पक्षी विज्ञानियों द्वारा भोपाल में किए गए शोध से यह सामने आई है कि 2020 से भोपाल आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। भोपाल बर्ड्स के मोहम्मद खालिक बताते हैं कि दो वर्ष पूर्व हुए शोध में यह बात सामने आई थी। शोध को भोपाल बर्ड्स के साथ क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय तथा वीएनएस नेचर सेवियर्स द्वारा किया गया था।
250 प्रकार के पक्षी आते हैं भोपाल
तीनों संस्थाओं के साझा बर्ड काउंट प्रोग्रम में देशभर के 120 प्रतिभागियों ने सुबह 6 बजे से 10 बजे तक बड़ी झील के विभिन्न 5 चयनित जोन में किया गया था। शोध के दौरान की गई पक्षियों की गणना में यह जानकारी सामने आई। चार घंटे चले शोध में पक्षियों की संख्या में कमी देखने को मिली थी। हालांकि शोधार्थी भोपाल आने वाली पक्षी प्रजातियों की संख्या से संतुष्ट दिखे। राजधानी में अब भी 250 प्रकार के परिंदे हजारों मील की दूरी तय कर पहुंचते हैं।
पूरे देश में कम हुई प्रवासी पक्षियों की संख्या
मोहम्मद खालिक के अनुसार पक्षियों की संख्या में कमी पूरे देश में देखी जा रही है। जलवायु परिवर्तन को इसकी वजह माना जा रहा है। यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े भीषण युद्ध के कारण भी प्रवासी पक्षियों की संख्या में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। वे बताते हैं कि भीषण जलवायु संकट, पक्षियों के इलाकों में मानव दखल और माइग्रेशन के समय उनके रूट में होने वाले दखल के कारण यह स्थिति बनी है।
इन प्रजातियों के 20 हजार परिंदे आते हैं भोपाल
अध्ययन के अनुसार हर साल औसतन 20 हजार से ज्यादा पक्षी प्रवास पर आते हैं। जिनमें रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, कॉमन कूट, नॉर्थेर्न शोवलर, कॉमन टील, ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, ब्रह्मिनी शेल्डक, ब्लू थ्रोट, लैसर वाइट थ्रोट , ग्रीन सैंडपीपर, पेंटेड स्टोर्क, ब्राउन हेडेड गल्ल, ब्लैक हेडेड गल्ल, पर्पल हेरॉन, लार्ज कोमोर्रेंट, साइबेरियन स्टोन चैट, कॉमन चिफचैफ, यूरेशियन कूट, स्पॉट बिल डक, लैसर व्हिस्टलिंग डक, ब्लैक हेडेड आइबिस, ग्लॉसी आइबिस, रेड स्टार्ट, कॉमन स्निप, ब्लैक बिटर्न, स्पॉटेड ईगल जैसे पक्षी शामिल हैं। लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या में भी भारी कमी देखी जा रही है। पहले जहां एक प्रजाति की संख्या सैकड़ों में होती थी। वही अब इनकी संख्या सिमट कर 10, 20 तक ही रह गई है। कुछ पक्षियों की संख्या तो ईकाई अंक भी पार नहीं कर पा रही है।