भोपाल। आधा साल बीतने को है और बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) अभी तक करीब पचास लॉ कालेजों की मान्यता जारी नहीं कर सका है। जबकि उक्त कॉलेजों में उच्च शिक्षा विभाग ने करीब चार हजार विद्यार्थियों के प्रवेश करा दिये हैं। बीसीआई के अनुमति नहीं मिलने से प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति ने उनकी फीस के प्रस्ताव को होल्ड कर दिए हैं।
बीसीआई का लीगल स्टडी का एजेंडा फेल हो गया है, क्योंकि आधा साल बीतने को है और अभी तक बीसीआई ने करीब पचास कालेजों की मान्यता जारी नहंी किया है। इससे उक्त कालेज गैरकानूनी तरीके से विद्यार्थियों को प्रवेश देकर अध्ययन करा रहे हैं। इसमें ईक्का दुक्का कालेज भोपाल तक के शामिल हैं। विभाग ने उक्त कालेजों की मान्यता देखे बिना ही करीब चार हजार विद्यार्थियों के प्रवेश करा दिये हैं। वहीं फीस कमेटी के समक्ष फीस तय करने के उक्त 50 कॉलेजों ने फीस निर्धारित करने के लिए प्रस्ताव भेज दिए हैं। इनमें कई कालेजों के पास संबंधित विश्वविद्यालयों से संबद्धता तक नहीं ले सके हैं। इसलिये फीस कमेटी ने उक्त कॉलेजों की फीस फिक्स करने से इंकार कर दिया है।
उन्हें एक माह की मोहलत दी है वे उक्त समय में बीसीआई से अनुमति और विवि से संबद्धता लेकर नहीं आते हैं, तो उनकी फीस निर्धारित नहीं की जाएगी, जिसके चलते वे वर्तमान सत्र में हुए प्रवेश की फीस विद्यार्थियों से नहीं ले पाएंगे।
2013 से मिल रही निरंतरता
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लॉ कॉलेजों को बीसीआई द्वारा वर्ष 2013 में मान्यता देने के बाद दोबारा निरंतरता देने से इनकार नहीं किया है। ऐसे में वह प्रति वर्ष निरंतरता की फीस का भुगतान कर रहे हैं। ऐसे सभी लॉ कॉलेज एडमिशन के लिए पात्र होंगे। विभाग द्वारा इसी आधार पर एडमिशन कराए गए हैं। बीसीआई अब उनकी मान्यता समाप्त कर सकता है, तो विभाग, कालेज संचालक और विद्यार्थियों की परेशानी बढ सकती है।