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आश्रम एवं छात्रावास अधीक्षकों को बाल अधिकारों के प्रति किया गया जागरूक

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सूरजपुर। आदिम जाति कल्याण विभाग के जिले के समस्त आश्रम, छात्रावास अधीक्षकों का एक दिवसीय बाल संरक्षण के मुद्दो पर कार्यशाला का आयोजन जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित किया गया। जिसमें कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया ने भारत माता और छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने सभी अधीक्षकों को संबोधित करते हुए बताया कि पॉक्सो अधिनियम के तहत् बच्चों को जागरुक करना अतिआवश्यक है। बाल यौन शोषण के प्रकरण जिलें में बढ़ते जा रहे हैं। प्रेम प्रसंग और पॉक्सो के प्रकरण जिले में अत्यधिक हो रहे है। जे.जे.बी. हो या सी.डब्लू.सी. पॉक्सो के प्रकरण ज्यादा प्रकाश में आ रहे हैं। सभी बच्चों को जागरूक करने की आवश्यकता है। श्री सिंह ने एक युद्ध-नशे के विरूद्ध के बाद तीसरा जिला सूरजपुर है। जिसमें यह कार्यक्रम आयोजित है। यह अति महत्वपूर्ण है। हमें बच्चों एवं उनके अभिभावकों को नशा के दुःप्रभाव की जानकारी देनी है और उन्हें नशे से मुक्त कराना है। कोटपा एक्ट के विषय में बताते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि इस अधिनियम के अन्तर्गत कोई भी शैक्षणिक संस्था के 100 मीटर के दायरे में कोई भी मादक पदार्थ बेचने का दुकान नहीं होना चाहिए। इन संस्थाओं में तम्बाखू पदार्थ का उपयोग नहीं होना चाहिए। साथ ही सभी मेडिकल दूकानों में मादक पदार्थ या कफ सिरफ या प्रतिबंधित दवाईयां नहीं बेचनी है। अपने जिले को बाल भिक्षावृत्ति मुक्त बनाना है, और यदि कोई भिक्षाटन करते मिले तो उसकी सूचना जिला बाल संरक्षण इकाई को देनी है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने आश्रम अधीक्षकों को लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि यह कानून बच्चों को लैंगिक अपराधों से संरक्षण प्रदान करता है। बच्चों को घूर कर देखना, पिछा करना, रास्ता रोकना, गलत इशारे करना, गलत फिल्म भेजना, गलत कमेंट्स करना पॉक्सो एक्ट के अन्तर्गत अपराध है। 2012 के पूर्व बच्चों के लैंगिक अपराध के लिए कोई कानून नहीं बना था 2012 में यह कानून प्रकाश में आया इसमें लड़का और लड़की दोनों को संरक्षित किया गया है। इस अधिनियम में मिडिया को भी प्रतिबंधित किया गया है। पॉक्सो पीड़ित की पहचान को गुप्त रखना अनिवार्य है। पीड़िता के कथन लेते समय उसके साथ एक सहयोगी व्यक्ति रहेगा और उसका चिकित्सीय परीक्षण में भी उसका कोई अभिभावक साथ रहेगा। अधिनियम में यह सबसे बड़ी बात है कि पॉक्सो के अन्तर्गत आने वाले अपराध में अपराधी को खुद सिद्ध करना है कि वह अपराध नहीं किया है।
आश्रम एवं छात्रावासो में गुड-टच एवं बेड टच को बताना अति आवश्यक है। बच्चों को समझ होनी चाहिए अच्छा स्पर्श क्या है और बुरा स्पर्श क्या है। तभी यह अपराध रुक सकता है। बच्चों को स्पर्श की जानकारी होना आवश्यक है। इस प्रकार की घटनाएं सुनसान जगह पर होती है, तो पहले तो बच्चें को इसका विरोध करना चाहिए और सुरक्षित स्थान में जाना चाहिए और जिस पर सबसे ज्यादा विश्वास हो उसे बताना भी चाहिए और ऐसे अपराधी पर कार्यवाही करना चाहिए।
मनोज जायसवाल ने बाल विवाह एवं बालश्रम पर भी सभी से चर्चा की बाल विवाह की घटनाएं गांव में बढ़ी है, उसे रोकने के लिए प्रयास प्रारम्भ से अर्थात छात्रावास एवं आश्रम में निवासरत बच्चीयों को जागरुक कर पहले शिक्षा फिर विवाह को जोर देना चाहिए और जागरुक करने से बाल विवाह में अंकुश लगाया जा सकता है। बाल श्रम में बच्चें यदि काम करते दिखे तो उसकी सूचना 1098 व 112 टोल फ्रि नम्बर पर देनी चाहिए छ.ग. बाल अधिकार संरक्षण आयोग का टोल फ्री नम्बर 1800-2330-055 जिला बाल संरक्षण इकाई सूरजपुर का नं. +91-7489692746 नम्बर पर वाट्सएप और फोन कर बता सकते हैं। पुलिस विभाग के अधिकारियों ने अभिव्यक्ति एप डाउनलोड करने का आग्रह सभी से किया जिसमें अपनी शिकायत महिला एवं बच्चें अपने मोबाइल से कर सके और उसकी कार्यवाही निश्चित होना है। कार्यक्रम में सभी को बेड-टच एवं लैंगिक अपराध से संबंधित फिल्म कोमल का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम का सम्पन्न सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग विश्वनाथ रेड्डी ने किया उन्होंने सभी आश्रम एवं छात्रावास अधीक्षकों को बताया कि अपनी अधीक्षीय कार्य के अलावा इस कार्य को प्राथमिकता देना है। अधीक्षकों को कानून की जानकारी आवश्यक है। इसलिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया गया है। कार्यक्रम में सभी जिले के 104 छात्रावास, आश्रम अधीक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम में महिला संरक्षक अधिकारी श्रीमती इंदिर तिवारी, सखी की काउन्सलर श्रीमती चन्दा प्रजापति, साबरीन फातिमा जिला बाल संरक्षण इकाई की सुश्री प्रियंका सिंह, वरुण प्रकाश, जावेद खान, पवन धीवर उपस्थित थे।