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बिखरने लगे लोक संस्कृति के इंद्रधनुषी रंग

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बस्तर दशहरा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज़
जगदलपुर में देश भर की प्रसिद्ध लोककलाओं की हो रही प्रस्तुति
जगदलपुर।
बस्तर दशहरा पर जगदलपुर की धरा पर लोककला और संस्कृति के इंद्रधनुषी रंग बिखरने लगे हैं. देश के कई राज्यों से आए कलाकार मनभावन प्रस्तुतियों से समा बांध रहे हैं.बुधवार को दंतेश्वरी मंदिर के समक्ष स्थित टाउन क्लब मैदान में पांच दिवसीय रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज ने किया।
जिला प्रशासन के सहयोग से बादल एकेडमी आसना द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के शुभारम्भ अवसर पर कलेक्टर चंदन कुमार,नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू, जिला पंचायत सीईओ रोहित व्यास, अपर कलेक्टर हरेश मंडावी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सांसद दीपक बैज ने कहा के बस्तर दशहरा का आयोजन पिछले वर्षों में कोरोना महामारी के कारण नहीं कर पाए थे, इसलिए इस वर्ष छोटे स्वरूप में ही सही, हमने यह आयोजन करने का निर्णय लिया । इस आयोजन में बस्तर के अलावा छत्तीसगढ़ और भारत के अन्य प्रांतों की भी लोक कलाओं की प्रस्तुति होगी। ऐसे आयोजन से बस्तर की प्रतिभाओं को भी आगे आने का मौका मिलेगा। संस्कृति के संरक्षण के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। सांसद ने कलाकारों को और कार्यक्रम आयोजक बादल संस्था के कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं दीं। कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय बस्तर दशहरा की विशेष पहचान है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। स्थानीय निवासियों की भी श्रद्धा इस पर्व से जुड़ी हुई है। दशहरा में पूरे अंचल से देवी देवता और ग्रामीणों का आगमन होता है। यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक है, जिसमें बस्तर की विभिन्न जनजातियों की सहभागिता प्रत्येक रस्मों में विशेष रूप से निश्चित होती है। इस वर्ष बस्तर दशहरा में एक नई पहल की गई है, जिसमें बस्तर दशहरा का सांस्कृतिक आयोजन दिनांक 28 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में आपको बस्तर की एवं देश की लोक-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। बादल एकेडमी की स्थापना बस्तर की लोक-संस्कृति के संरक्षण एवंहजमी. संवर्धन तथा शुद्ध द्मद्भने के उद्देश्य से की गई है। बादल अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु लगातार कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रारंभ कर चुका है, जिसकी एक कड़ी यह बस्तर दशहरा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है.
इन कार्यक्रमों का लेंगे मजा
इस सांस्कृतिक आयोजन में प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक लोकनृत्यों व अन्य कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। स्कूली एवं कॉलेज छात्र-छात्राओं द्वारा शास्त्रीय एवं लोक-संस्कृति पर आधारित प्रस्तुति, दक्षिण – मध्य क्षेत्र नागपुर के माध्यम से सांस्कृतिक दलों द्वारा देश के अनेक हिस्सों की सांस्कृतिक झलक दिखाई जाएगी. आपको बस्तर और समूचे छत्तीसगढ़ की संस्कृति के साथ ही भारत के अन्य क्षेत्रों की आंचलिक संस्कृति के भी दर्शन होगें। पहले दिन बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त मोहरी वादक श्रीनाथ और साथियों द्वारा बस्तर के वाद्य यंत्रों का वादन, हरप्रीत कौर द्वारा छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति, दरभा के पीलाराम व साथियों द्वारा परब लोकनृत्य, प्रज्ञा योग एवं नृत्य संस्थान धरमपुरा द्वारा हल्बी नृत्य, बास्तानार – करसाड़ के गणेश मंडावी व साथियों द्वारा लोकनृत्य, गांव-मंचल, तेलगांना – लंबाडी के नागार्जुना द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के माथुरी नृत्य, बस्तर संगीत महाविद्यालय जगदलपुर द्वारा समूह शास्त्रीय नृत्य, आंध्रप्रदेश के रमेश दक्षिण मध्य क्षेत्र कोगू कोया नृत्य, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जमावाड़ा एवं अखंड ज्योति विद्या मंदिर बकावंड के विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न नृत्य की प्रस्तुतियां प्रमुख आकर्षण रहे। 2 अक्टूबर तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा। दूसरे दिन के कार्यक्रमों की श्रृंखला में जगदलपुर की श्रुति सरोज द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति, भैरम डोकरा समिति, नागंलसर जगदलपुर के सोमाराम द्वारा धुरवा लोकनृत्य, सुर श्रृंगार सामाजिक सांस्कृतिक लोक कला मंच द्वारा बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो पर गीत प्रस्तुति, सागर मध्यप्रदेश बधाई, बरेदी के दीपेश पांडे द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के नौरता नृत्य, गांव मंचल, तेलगांना, लंबाडी के नागार्जुना द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के माथुरी नृत्य, आंध्रप्रदेश के रमेश द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के कोगू कोया नृत्य, हाटपदमुर जगदलपुर के जगत बघेल द्वारा परब लोकनृत्य, जैतापकर, परेल, मुंबई महाराष्ट्र की शीतल लक्ष्मण द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के लावणी, कोली नृत्य की प्रस्तुति, कल्लूराम व साथी द्वारा बस्तर के पारम्परिक गेड़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. दरभा के चैतराम व साथी कलाकारों द्वारा धुरवा लोकनृत्य, सेंट जेवियर्स हायर सेकंडरी स्कूल जगदलपुर, शासकीय महाविद्यालय बकावंड और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरगीपाल, बकावंड के छात्र-छात्राओं द्वारा विविध लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी.