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हिंसा के दौरान एक उपद्रवी ने ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी के साथ बदसलूकी, उपद्रवी ने की गंदी हरकत

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नागपुर
नागपुर में हुई हिंसा की जांच जारी है। इसी बीच खबर है कि हिंसा के दौरान एक उपद्रवी ने ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी के साथ बदसलूकी की गई है। खबर है कि उनकी वर्दी भी उतारने की कोशिश की गई। फिलहाल, इसे लेकर पुलिस ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। फिलहाल, हिंसा के 19 आरोपियों को 21 मार्च तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक आरोपी ने कथित तौर पर महिला पुलिस कर्मी की वर्दी और शरीर को आपत्तिजनक तरीके से छुआ, अश्लील इशारे किए और बदसलूकी की। इस संबंध में गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में FIR भी दर्ज कराई गई है। महिला पुलिस अधिकारी RCP स्क्वॉड में शामिल थीं। खबरें ये भी हैं कि आरोपी ने उनकी वर्दी उतारने की भी कोशिश की थी।

फिलहाल, यह साफ नहीं है कि आरोपी की पहचान हो चुकी है या नहीं और उसे गिरफ्तार किया गया है या नहीं। हिंसा के लगातार दूसरे दिन भी नागपुर शहर का माहौल पूरी तरह से शांत नहीं है। 11 पुलिस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू के साथ भारी पुलिस बंदोबस्त तैनात रहा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे साजिश करार दिया था। साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा जताया था।

शिकायत में यह भी बताया गया है कि उसी आरोपी ने वहां मौजूद अन्य महिला पुलिसकर्मियों के साथ भी बदसलूकी की थी। कहा जा रहा है कि भीड़ ने ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों को डराने कि लिए उनकी ओर देखकर गंदे इशारे किए और अभद्र टिप्पणियां की थीं।

अब क्या हैं नागपुर के हाल
पुलिस आयुक्त रविंद्र कुमार सिंघल ने बताया कि दोपहर बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी। वहीं, एक अन्य अधिकारी ने बताया कि संवेदनशील इलाकों में दो हजार से अधिक सशस्त्र पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह, त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) और दंगा नियंत्रण पुलिस (आरसीपी) द्वारा पुलिस उपायुक्त रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में गश्त की जा रही है।

सोमवार रात साढ़े सात बजे के करीब मध्य नागपुर में हिंसा भड़क गई थी और पुलिस पर पथराव किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि यह हिंसा इस अफवाह के बाद फैली कि औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान एक समुदाय के धार्मिक ग्रंथ को जला दिया गया। हिंसा में 34 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके बाद शहर के संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया, जिससे लोगों और वाहनों की आवाजाही पर रोक लग गई।

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