Home मध्यप्रदेश विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने तक सीमित नहीं है: मोहन भागवत

विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने तक सीमित नहीं है: मोहन भागवत

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भोपाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने आज विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान (वीबीएबीएसएस) के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं के पंचदिवसीय प्रशिक्षण शिविर का औपचारिक उद्घाटन किया। यह शिविर भोपाल स्थित सरस्वती विद्या मंदिर आवासीय विद्यालय, शारदा विहार में आयोजित किया गया है।

इस अवसर पर संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, विद्या भारती के अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव, महामंत्री अवनीश भटनागर सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र में अवनीश भटनागर ने अतिथियों का परिचय कराया, जिसके उपरांत अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने शिविर की संकल्पना प्रस्तुत की।

युगानुकूल परिवर्तन में भारत की अग्रणी भूमिका:

अपने संबोधन में परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि संघ केवल शाखा संचालन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज परिवर्तन की दिशा में कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा कि विश्व में हो रहे सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक बदलावों को भारत की सनातन परंपरा के आलोक में दिशा देने की आवश्यकता है। आज जब वैश्विक परिदृश्य में कई विकृतियां उभर रही हैं, तब भारत ही वह ध्रुव तारा है जो सही दिशा प्रदान कर सकता है। इसके लिए समाज और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास हेतु भारतीय परंपराओं पर आधारित शिक्षा, संस्कृति और नीति निर्माण को बढ़ावा देना आवश्यक है।

संघ का व्यापक प्रभाव:

उन्होंने उल्लेख किया कि विद्या भारती द्वारा किए जा रहे कार्यों का वैश्विक स्तर पर प्रभाव देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इसकी व्यापकता को स्वीकार किया है। यह प्रमाणित करता है कि संघ और उसके सहयोगी संगठनों का कार्य केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैश्विक महत्व भी है।

समाज जागरण की आवश्यकता:

भागवत जी ने कहा कि आज समाज में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें केवल आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि मानवता, करुणा और सत्य जैसे मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित समाज का निर्माण करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में भारत को एक आदर्श समाज मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना होगा, जो संपूर्ण विश्व को शांति और समरसता की ओर ले जाने में सक्षम हो।

संघ कार्यकर्ताओं से आह्वान:

परम पूजनीय सरसंघचालक जी ने सभी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे अपने विचार और कार्यों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए निरंतर कार्य करें। उन्होंने पंच परिवर्तन, विमर्श परिवर्तन, और सज्जन शक्ति जागरण को संघ के आगामी कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

शिविर के आगामी सत्रों में विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे कार्यकर्ताओं को समाज जागरण के लिए और अधिक प्रभावी रूप से तैयार किया जा सके।

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