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आत्मानंद स्कूल बना राजनीतिक अखाड़ा…तथाकथित नेताओं और स्कूल प्रबंधन के कुछ लोग स्कूली बच्चों पर बना रहे दबाव…स्कूल में लगे CCTV से गतिविधियों की होनी चाहिए जांच…भूपेश सरकार के खिलाफ ही ज्ञापन दे रहे कांग्रेस से जुड़े नेता…मुख्यमंत्री का ही नाम खराब कर रहे मुंगेली के तथाकथित कांग्रेस नेता…कांग्रेस मौन…?

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स्वतंत्र तिवारी – 9752023023

मुंगेली/ अपने ही कांग्रेस सरकार को बदनाम करने मुंगेली में सत्तापक्ष के कुछ तथाकथित नेता इस कदर आमादा हैं कि वे स्कूल प्रबंधन से मिल आत्मानंद स्कूल को एक राजनीतिक अखाड़ा बनाने तुले हुए हैं, स्कूल में होने वाले हर छोटे से छोटे या बड़े से बड़े कार्य अथवा कार्यक्रमों में राजनीतिक दखल का होना कई बातों की ओर इंगित करता हैं। नाम गुप्त रखने की शर्त पर आत्मानंद स्कूल के अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को कुछ कांग्रेस नेताओं के द्वारा प्राचार्य नियुक्ति मामले में एक व्यक्ति-विशेष का पक्ष लेने और एक व्यक्ति-विशेष का विरोध करने दबाव बनाया जा रहा हैं, जिसका आत्मानंद स्कूल के कुछ स्टॉफ टीचरों ने विरोध भी किया, परंतु नेताओं के सामने कौन भला कितना विरोध करें…?
अभिभावकों ने बताया कि हाल ही में कुछ महीनों से आत्मानंद स्कूल में राजनीतिक गतिविधियां काफी बढ़ गई थी, और अक्सर इस स्कूल में राजनीति से जुड़े लोगों का बेवजह आना-जाना लगा रहता हैं, जिससे स्कूली बच्चों और टीचरों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं, जो स्कूल में लगे CCTV की जांच में मिल सकता हैं, अगर उसका बेकअप सुरक्षित हो तो जिला प्रशासन को इसकी जांच की जानी चाहिए। अभिभावकों, बच्चों के साथ-साथ अब स्कूल के टीचर भी डरे-सहमे हुए हैं क्योंकि राजनीतिक लोगों के गलत कार्यो का विरोध करना कहीं उन्हें मंहगा न पड़ जाए ?
आपको बता दे कि हाल ही में 4 सितंबर 2022 को आत्मानंद स्कूल की ही 7 वीं कक्षा की 12 वर्षीय छात्रा की घर के पास गणेश पंडाल में करेंट लगने से मौत हो गई थीं, दूसरे दिन 5 सितंबर (शिक्षक दिवस) को आत्मानंद स्कूल में शोक रख तुरंत छुट्टी देकर औपचारिकता निभाया गया, उसके बाद 6 सितंबर को आत्मानंद स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें डांस, कवियों द्वारा कविता पाठ और भाषणबाजी संपन्न हुआ था, जिसको लेकर अभिभावकों और मुंगेलीवासियों में काफी नाराजगी और आक्रोश था कि 7 वीं कक्षा की मासूम बच्ची की मौत के एक दिन बाद ही स्कूल प्रबंधन द्वारा इस तरह का आयोजन नहीं करना था, अगर यह आयोजन करना ही था तो कुछ दिनों बाद किया जा सकता था, परंतु स्कूल प्रबंधन, अधिकारियों और नेताओं ने इतनी संवेदना नहीं दिखाई और स्वागत करवाने, वाहवाही लूटने भव्य कार्यक्रम संपन्न करा दिए। जिसे दैनिक भारत-भास्कर ने प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार खबर प्रकाशित होने के बाद राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस स्कूल की प्राचार्य को हटाने और पूर्व प्राचार्य आईपी यादव को पदस्थ करने आदेश आया, जिसके बाद इस स्कूल में हड़कंप मच गया और इससे राजनीति और भी ज्यादा बढ़ गई, स्कूल में राजनीति कर रहे ऐसे तथाकथित नेता जब उन्हें लगा कि अब प्राचार्य के हटाने और नए प्राचार्य के आने के बाद उनकी राजनीतिक व स्वार्थ वाली दाल नहीं गलेगी तो ऐसे में उन्होनें इसका एक रास्ता निकाल योजना बनाई कि स्कूल के ही कुछ छात्रों को भड़काकर या दबाव बनाकर अपने ही खास प्राचार्य का पक्ष लिया जाए। यहां तक कि अपने ही सरकार भुपेश बघेल की महत्वकांक्षी आत्मानंद स्कूल को लेकर उन्हीं की पार्टी के नेता द्वारा ज्ञापन भी दिलवाया गया, जो विचारणीय हैं ? इन्हें कौन बताए कि छत्तीसगढ़ शासन से जो आदेश आया हैं और इसका विरोध करना मतलब भुपेश सरकार का विरोध करना हैं। उक्त बातों से भी अभिभावक नाराज हैं। अभिभावकों ने कहा कि एनएसयूआई द्वारा दिये गए ज्ञापन में अभिभावकों का जिक्र किया गया हैं परंतु किसी अभिभावक का हस्ताक्षर नहीं दिखाई दिया। साथ ही कुछ दिन पहले ही शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावकों ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया था, इस बात का उल्लेख एनएसयूआई के ज्ञापन में क्यों नहीं हैं इससे यह स्पष्ट होता हैं कि इस ज्ञापन के माध्यम के कुछ स्वार्थी नेता अपनी स्वार्थवादी महत्वकांक्षा को अंजाम देने की फिराक में हैं।
जानकारी मिली हैं कि आज एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिल स्कूल और वहां की राजनीतिक गतिविधियों सहित सारी सच्चाइयों से उन्हें अवगत कराएंगे, नए प्राचार्य के पदस्थापना के लिए ज्ञापन दे सकते हैं।
साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए कि एक जांच टीम बनाकर अभिभावकों, बच्चों और स्टाफ से बंद कमरे में अकेले में राय लिया जाए, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।