Home मध्यप्रदेश स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान संगोष्ठी 12 सितम्बर को

स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान संगोष्ठी 12 सितम्बर को

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भोपाल। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल 12 सितम्बर को जबलपुर के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में “स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान” पर एक दिवसीय संगोष्ठी, प्रदर्शनी और छात्र संवाद का शुभारंभ करेंगे। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के योगदान और जनजातीय नायकों के बलिदान को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से देश में 100 से अधिक विश्वविद्यालय में यह कार्यक्रम हो रहे हैं। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. सीता प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में होने वाले कार्यक्रम में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अपर मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया और संचालक डॉ. आर.के. मेहिया विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
देश की सुरक्षा पर जब-जब संकट आया है, जनजातीय समाज ने अपने शौर्य और बलिदान से राष्ट्र की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जनजातीय समाज ने कभी भी विदेशी दासता स्वीकार नहीं की, सशस्त्र विद्रोह और संघर्ष किया। तिलका माँझी के नेतृत्व में पहीड़िया आंदोलन, कोया जनजातीय का विद्रोह, कोल जनजाति द्वारा सशस्त्र संघर्ष, भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व में संघर्ष, सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में संथाल आंदोलन, मानगढ़ का बलिदान आदि की एक समृद्ध परंपरा रही है। संगठित आंदोलनों और विद्रोहों के अलावा जनजातीय समाज द्वारा वैयत्तिक बलिदान की भी एक लंबी श्रंखला रही है।