भोपाल। प्रदेश के दस विभागों में दो सालों में हुए 360 करोड़ रुपए के फ्राड, गबन, अवैध भुगतान के मामले में दस विभागों के अफसर भारत सरकार और वित्त विभाग के सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं। इस मामले में भारत के महालेखाकार ने भी मुख्य सचिव से आपत्ति जताई है कि विभागों द्वारा किए जाने वाले अनियमित पेमेंट के मामले में बार-बार रिमाइंडर देने के बाद भी जवाब नहीं दिया जा रहा है।
ये गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम, भू अधिग्रहण, वन ड्राप मोर क्राप स्कीम, जिला और जनपद पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा कराए गए निर्माण कार्य, तवा सिंचाई परियोजना, पीएम आवास योजना के डीबीटी और इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट आॅफ हार्टिकल्चर में की गई है। गड़बड़ी के ये सभी मामले वर्ष 2019-20 से 2020-21 के वित्त वर्ष के बताए जा रहे हैं।
विभाग और राशि
राजस्व विभाग में 138.91 करोड़
जल संसाधन विभाग में 122.32 करोड़ रुपए
आदिवासी विकास, आदिम जाति कल्याण और पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक विभाग में 38.99 करोड़
हार्टिकल्चर, फूड प्रोसेसिंग व किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग में 7.21 करोड़ रुपए
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में 9.93 करोड़ रुपए
पीएम आवास योजना ग्रामीण में डीबीटी में 19.11 करोड़ रुपए
उद्यानिकी और फूड प्रसंस्करण विभाग की इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट स्कीम में 23.88 करोड़