मुंगेली/ वैसे सही मायने में साहित्य समितियों का कर्त्तव्य होता हैं कि वो अपने क्षेत्र के साथ साथ समूचे वातावरण को साहित्य से परिपूर्ण कर दे, साथ ही वरिष्ठ साहित्यकारों का अनुकरण करते हुए उनका सम्मान करें तथा नए साहित्यकारों का मनोबल बढ़ाये, और होने वाले प्रत्येक साहित्यिक गतिविधियों में समिति अपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहभागिता दे, परन्तु मुंगेली की सबसे पुरानी साहित्य समिति के रूप में जाने जानी वाली आगर हिंदी साहित्य समिति वर्तमान में अपने नेतृत्वकर्ता के संदेहास्पद कार्यशैली और तानाशाही रवैये के चलते आंसू बहा रही हैं। मुंगेली जिले के कई अधिकारियों एवं व्यापारियों ने आगर हिंदी साहित्य समिति के कुछ सदस्यों से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि समय-बेसमय आगर हिंदी साहित्य समिति के मुख्य नेतृत्व करने वाले व्यक्ति-विशेष के द्वारा उनसे जबरन चंदा वसूली की जाती हैं, कही भी साहित्यिक कार्यक्रमों में जाने के लिए आगर हिंदी साहित्य समिति के मुख्य नेतृत्वकर्ता के द्वारा अकेले आकर सहयोग करने के नाम पर चंदा मांगा जाता हैं, जिससे समिति की छबि धूमिल हो रही हैं। जब मुंगेली में यह बात फैली तब साहित्यप्रेमियों सहित बहुतों ने कहा कि आगर हिंदी साहित्य समिति को अगर अपनी गरिमा बनाये रखनी हैं तो योग्य नेतृत्वकर्ता के हाथों में समिति की जिम्मेदारी देनी चाहिए। आगर हिंदी साहित्य समिति के सदस्यों ने बताया कि समिति के मुखिया बने व्यक्ति के द्वारा अपने हिसाब से मनमानी रूप में कार्य किया जाता है साथ ही समिति के बाकी सदस्यों से राय नही ली जाती जिससे उनमें भी नाराजगी देखी गई। मुंगेली सहित आसपास क्षेत्रों में आगर हिंदी साहित्य समिति के नेतृत्वकर्ता के मनमानी और चंदाखोरी की जमकर चर्चा हो रही हैं।
अब देखना हैं कि मुंगेली की सबसे पुरानी साहित्यिक समिति आगर हिंदी साहित्य समिति के बाकी के वरिष्ठ साहित्यकार क्या रुख अपनाते हैं।