रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीते चार वर्षो में मलेरिया के मामलों में 79 फीसदी की कमी आई है। छत्तीसगढ़ मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले दर्ज करने वाले पांच भारतीय राज्यों में से एक है। 2019 में देश भर में मलेरिया के कुल मामलों में से 45 फीसदी छत्तीसगढ़ में दर्ज किए गए थे। प्रदेश में 2017 से 2021 के बीच साल-दर-साल मलेरिया के मामलों में 79 फीसदी की कमी आई है। मलेरिया के मामलों में लगातार कमी के चलते राज्य अब मलेरिया उन्मूलन की दृष्टि से तीसरे वर्ग के राज्य से आगे बढ़कर दूसरे वर्ग के राज्य की सूची में आ गया है।
दुनिया की सबसे गंभीर संक्रामक बीमारियों में से मलेरिया, डेंगू एवं जैपनीज इंसेफिलाइटिस जैसी बीमारियाँ मच्छर के काटने से फैलती हैं। मलेरिया एवं अन्य मच्छरजनित बीमारियों और इसके कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए जरूरी है कि हम सभी ऐहतियाती कदम उठाएं। हर साल 20 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व मच्छर दिवस इस बार मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार के उपयोग की थीम पर मनाया जा रहा है। इस मौके पर छत्तीसगढ़ भी सभी मच्छरजनित रोगों के उन्मूलन के प्रयासों में तेजी लाने के लिए तैयार है।
कोरोना महामारी के बावजूद भी देश ने मलेरिया की रोकथाम के लिए कड़ी मेहनत जारी रखी है। देश में मलेरिया के मामले 2004 में 1.92 मिलियन थे जो 2014 में कम होकर 1.1 मिलियन हो गए?। मलेरिया के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी इस दौरान घटकर 949 से 562 पर आ गई। छत्तीसगढ़ में भी मलेरिया का बोझ कम करने और इसके उन्मूलन की दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं। राज्य का ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियानझ् इस दिशा में गंभीर पहल है जिसके तहत स्वास्थ्य कर्मी मलेरिया के मामलों में कमी लाने, दवाओं एवं नैदानिक सेवाओं की सुलभता बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इस अभियान से राज्य में मलेरिया के मामलों और सालाना पैरासिटिक मामलों में कमी आई है।
मलेरिया पर नियन्त्रण से राज्य में लोगों के स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर में भी सुधार हुआ है। खासतौर से वनांचलों में स्वास्थ्य एवं एनीमिया जैसी क्रोनिक बीमारियों की स्थिति में सुधार आया है। मलेरिया और इसकी वजह से होने वाली मौतों की रोकथाम के बारे में जागरुकता बढ़ाकर देश को 2030 तक मलेरिया मुक्त करने के प्रयासों में छत्तीसगढ़ भी अपना अहम योगदान दे सकता है।