बरेली। सावन की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी बरेली में सावन की शुरुआत से लेकर मोहर्रम के जुलूस तक हिंदू-मुस्लिमों के बीच चार बार टकराव हुआ। इससे पुलिस की सक्रियता और इंटेलीजेंस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सावन के पहले सोमवार से ठीक एक दिन पहले प्रेमनगर में बिरयानी की दुकान पर अतिक्रमण हटाने पर बवाल खड़ा हो गया। घंटों हंगामा चला। उपद्रवियों ने गाड़ी फूंकने की कोशिश की जिसमें वह कामयाब नहीं हो सके। मुकदमा दर्ज कर उपद्रवियों को जेल भेजा गया।
दूसरी घटना कैंट के परगवां गांव में हुई। लखौरा गांव से कछला घाट के लिए निकले कांवड़ियों के जत्थे पर मुस्लिमों ने गंदा पानी फेंक दिया। डीजे बंद कर दिया। विरोध किया तो मारपीट शुरू कर दी। मामले में परगवां की प्रधान समेत कई आरोपितों को जेल भेज दिया गया। तीसरी घटना हाफिजगंज के बकैनिया गांव में हुई। मुस्लिमों ने कांवड़ियों को निशाने पर लिया और पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस टीम पर भी हमला किया। इंस्पेक्टर की वर्दी फाड़ दी गई। मामले में बकैनिया प्रधान समेत 11 पर मुकदमा लिखा गया।
हाफिजगंज की घटना के दो दिन बीते भी नहीं थे कि मंगलवार को भोजीपुरा के मझौवा-गंगापुर गांव में हिंदू-मुस्लिम विवाद हो गया। सुबह के समय जब ताजिया के जुलूस में बड़े-बड़े डीजे लगाए गए तो हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध किया। इस पर पुलिस ने डीजे बंद कराकर जुलूस निकलवाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद ही ताजिया तोड़े जाने की अफवाह फैली और बवाल शुरू हो गया। अगर पुलिस समय रहते चेत गई होती और अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर मामले को संभाल लिया गया होता तो हालत यहां तक नहीं पहुंचते। दोनों पक्षों की ओर से हुए पथराव में कई लोग घायल हो गए। साथ ही दुकानों में तोड़फोड़ व लूटपाट की गई। मामले में अब तक तीन मुकदमे लिखे जा चुके हैं।
जिले में पिछले एक महीने में लगातार हो रहे हिंदू-मुस्लिम विवाद से कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस-प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था के दावे फेल साबित हुए। वहीं बरेली पुलिस की मुखबिरी पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने कहा कि सभी मामलों में कार्रवाई की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।