रायपुर। सावन का महीना हो और सपेरे कहीं दिखें न ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन इन सापों के दांत को तोड़कर जहर निकालना गलत बात हैं। वहीं दूसरी ओर वन अधिनियम के तहत सांपों को अपने साथ रखकर मोहल्ले-मोहल्ले घूमना भी गैरकानूनी हैं। एनिमल रेस्क्यू संस्था लकी टेल्स और नोवा नेचर के सदस्य अचानक ही महादेव घाट पहुंचे जहां कुछ सपेरे खेल दिखा रहे थे। इनके पास से टीम के सदस्यों ने एक नहीं बल्कि 14 कोबरा सांपों को जप्त किया और बाद में कार में बिठाकर उन्हें बारनवापारा के जंगल में छोड़ दिया।
एनिमल रेस्क्यू संस्था लकी टेल्स और नोवा नेचर के प्रतिनिधि जब महादेवघाट इलाके में पहुंचे तो एक दो नहीं बल्कि 14 ऐसे लोग मिले जिनकी पिटारियों में कोबरा बंद था। कुछ बेहद विशेष प्रजाति के ब्लैक कोबरा सांप भी थे, जो अमूमन कम ही दिखाई देते हैं। जब संस्था के सदस्यों ने सांपों को रेस्क्यू करना चाहा तो सपेरे इनसे भिड़ गए, बहसबाजी शुरू कर दी। काफी देर तक बहसबाजी होने के बाद सांपों का रेस्क्यू करने में कामयाब हुए। इसके बाद संस्था के सदस्यों ने फैमिली कार में इन सांपों को रखा और बारनवापारा के जंगल ले गई और वहां इन सभी सांपों को प्रकृति के बीच जंगल में छोड़ दिया गया।
संस्था की वंचना लाबान ने बताया कि खुद को सपेरे बताने वाले लोग सांपों के दांत को तोड़ देते हैं और उनका जहर निकाल दिया जाता है। उसके बाद उनकी नुमाइश कर पैसे कमाने का काम होता है। ऐसे में सांप की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और चंद दिनों में उसकी मौत हो जाती है। इस तरह देशभर में कई कोबरा मार दिए जाते हैं। वन अधिनियम के तहत सांप जंगली जानवर के रूप में संरक्षित हैं, इसके लिए बकायदा अधिनियम 1972 की अनुसूची जारी की गई है जिसमें सांप के शरीर अंग या शिकार करना या उसे अपने पास रखना दंडनीय अपराध है। उन्होंने बताया कि नोवा नेचर सोसाइटी के वॉलिंटियर निशुल्क सेवा देती है और यदि घर पर सांप दिख जाए तो घबराने की जरूरत नहीं, इस नंबर 9303345640 पर फोन करके मदद मांगी जा सकती है। पुलिस विभाग की तरफ से जारी इमरजेंसी नंबर 112 में भी जानकारी दी जा सकती है।