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भाजपा गदगद: राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की बड़ी जीत ने विपक्षी एकता की खोली पोल

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकता के तमाम दावे किए जा रहे थे। कांग्रेस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों की कई बार बैठकें भी हुईं पर चुनाव में क्रॉस वोटिंग ने उनकी एकता की पोल खोल दी। मुर्मू के पक्ष में 13 राज्यों के सवा सौ से ज्यादा विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने का दावा किया जा रहा। खास तौर पर असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और गोवा में बड़ी सेंधमारी हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह कुछ राज्यों में होने वाले चुनाव और आदिवासी मतदाताओं के बीच मौजूदगी को माना जा रहा है।
असम: कांग्रेस के 16 विधायकों ने दिया समर्थन
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को दावा किया कि राज्य के 22 विपक्षी विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया। इनमें 15-16 कांग्रेस के थे, जिन्होंने पार्टी लाइन से हटकर वोट दिया। बाकी एआईयूडीएफ विधायकों या निर्दलीयों के मत हो सकते हैं। हालांकि-उन्होंने कहा, मैं यह भी नहीं मानता कि इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टी में कोई विभाजन हो सकता है। असम विधानसभा में एनडीए के विधायकों की संख्या 79 है, लेकिन मुर्मू को 104 मत मिले। इसके उलट विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को केवल 20 विधायकों का समर्थन मिला, जबकि सदन में विपक्ष के 44 विधायक हैं। असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने स्वीकार किया कि क्रॉस वोटिंग हुई और दावा किया कि कम से कम छह विधायकों ने पार्टी के उलट जाकर मतदान किया। असम में छह फीसदी आदिवासी आबादी है।
मध्य प्रदेश : एनडीए प्रत्याशी को अधिक मत
मध्य प्रदेश में मुर्मू को 16 वोट अधिक मिले। यहां 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी समाज के लिए आरक्षित हैं। भाजपा के यहां 130 और कांग्रेस के 96 विधायक हैं लेकिन द्रौपदी मुर्मू को 146 और यशवंत सिन्हा को 79 विधायकों ने वोट दिया। यानी 16 विधायकों ने क्रॉस वोट किया। अगले साल यहां विधानसभा चुनाव होने हैं और बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी यहां रहती है।
महाराष्ट्र : एकजुट नहीं रख पाए विधायक
महाराष्ट्र में सियासी उठापटक का असर राष्ट्रपति चुनाव में भी साफ नजर आया। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने पहले ही भाजपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया था। इसके बावजूद महाराष्ट्र में 16 विधायकों की ओर से क्रॉस वोट करने की खबर सामने आई। इससे साफ है कि आदिवासी महिला का नाम आने के बाद विधायकों को एकजुट कर पाने में कांग्रेस और एनसीपी नेतृत्व सफल नहीं हुआ। क्योंकि उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट पहले ही समर्थन दे चुका था। यानी जो क्रॉस वोटिंग हुई वह इन्हीं दलों के विधायक होने की संभावना है।
पश्चिम बंगाल : दो विधायकों के अलग मत
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों और सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया। मतदान करने वाले 291 विधायकों में से 216 ने यशवंत सिन्हा को वोट दिया जबकि 71 मत मुर्मू के पक्ष में पड़े। चार मत अमान्य घोषित किए गए। भाजपा के यहां 69 विधायक हैं। माना जा रहा तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।
गुजरात : सबसे दिलचस्प लड़ाई
सबसे दिलचस्प लड़ाई गुजरात की है। यहां अगले साल चुनाव होने हैं। इस राज्य में 30 से 40 विधानसभा सीटों पर आदिवासी समाज का प्रभाव है। यहां भाजपा विधायकों की संख्या 111 है लेकिन मुर्मू को 121 वोट मिले। एक एनसीपी विधायक का है जिन्होंने खुलेआम मतदान किया जबकि 10 विधायक कांग्रेस के बताए जा रहे हैं।
झारखंड: सिन्हा को अपने घर में कम वोट
यशवंत सिन्हा को अपने गृह राज्य झारखंड में 81 में से केवल नौ विधायकों के वोट मिले। वहां बड़ी संख्या में कांग्रेस के विधायकों ने एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया जबकि द्रौपदी मुर्मू को अपने गृह राज्य ओडिशा में 147 में से 137 विधायकों के वोट हासिल हुए।
गोवा: तीन मत ज्यादा मिले
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने दावा किया कि भाजपा और उसके सहयोगियों को 25 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन मुर्मू को गोवा से 28 वोट मिले। इसलिए यह स्पष्ट है कि विपक्ष से तीन वोट आए हैं। मुझे नहीं पता कि किन विधायकों ने मुर्मू का समर्थन किया, लेकिन मैं समर्थन के लिए उनका आभारी हूं। उधर, क्रॉस वोटिंग पर विपक्षी खेमे में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। कांग्रेस ने दावा किया कि उसके विधायक इसमें शामिल नहीं थे। वहीं, गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने कहा, कांग्रेस के एकजुट होने का बयान मेरे लिए खबर है।” उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि पार्टी में क्या हो रहा है और किसने ‘क्रॉस वोटिंग’ की होगी।
केरल: एक मत मिलने से भाजपा गदगद
केरल में भाजपा का कोई निर्वाचित विधायक या सांसद नहीं है, लेकिन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस नीत गुटों के दबदबे वाले राज्य से राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को मिले एक संभावित वोट को लेकर प्रदेश भाजपा गदगद है। केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा का कोई विधायक नहीं है, ऐसे में माना जा रहा था कि सभी वोट विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मिलेंगे। मुर्मू को केरल से एक वोट मिला जबकि 139 वोट सिन्हा को मिला।