नई दिल्ली। देश में बच्चों और युवाओं के बीच बढ़ती स्मोकिंग हैबिट पर कंट्रोल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी। यह याचिका खारिज कर दी गई। एडवोकेट शुभम अवस्थी और ऋषि मिश्रा की तरफ से दायर की गई इस याचिका में मांग की गई थी कि खुली सिगरेट बेचने पर रोक लगे और सिगरेट पीने की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल कर दी जाए।
कोर्ट ने कहा- अच्छा केस लाइए, अच्छे से जिरह करें
शुक्रवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर आप पब्लिसिटी चाहते हैं तो अच्छा केस लाइए, अच्छे से जिरह करें। केवल पब्लिसिटी के लिए ऐसी याचिका दाखिल न करें। गौरतलब है कि याचिका मई के आखिरी हफ्ते में दायर की गई थी। जिसमें स्मोकिंग के लिए निर्धारित जगह को भी खत्म करने की मांग भी की गई थी।
याचिका में की गई थीं ये मांगें
स्कूल-कॉलेज के आस-पास खुले में सिगरेट बिक्री को बैन किया जाए।
अस्पतालों और धार्मिक स्थलों के पास सिगरेट की बिक्री बंद की जाए।
स्मोकिंग पर कंट्रोल के लिए केंद्र को योजना बनाने कहा जाए।
स्मोकिंग एरिया में धुएं के फिल्ट्रेशन के लिए गाइडलाइन बनाने के निर्देश दिए जाएं।
2018 में WHO ने जारी की थी रिपोर्ट
याचिका में कहा गया कि 2018 में WHO ने भारत में तंबाकू के सेवन पर अपनी फैक्ट शीट जारी की। यह की युवा को कार्डियो-वैस्कुलर रोगों ले जा रही है। इसमें सिगरेट सबसे ज्यादा शामिल है, जो भारत में 90 लाख से ज्यादा लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है।
16 से 64 साल के लोगों में ज्यादा लत
पिछले दो दशकों से स्मोक की संख्या बढ़ी है। यह एक ऐसी महामारी बन गई है, जिसने भारत को स्मोकिंग के मामले में दूसरे नंबर पर ला दिया है। इसमें 16 से 64 साल शामिल हैं। याचिका में ये भी कहा गया है कि जर्नल ऑफ निकोटीन एंड टोबैको रिसर्च के मुताबिक, भारत में सेकेंड हैंड स्मोक एक्सपोजर के गंभीर आर्थिक बोझ को बढ़ाया है।
स्मोकिंग से फेफड़ों के साथ आंखों पर भी असर
सेकेंड हैंड स्मोक के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में सालाना 567 अरब खर्च होता है। यह ऐनुअल हेल्थ केयर का 8% है। वहीं तंबाकू के उपयोग में सालाना 1,773 अरब रुपये खर्च होते हैं। स्मोकिंग न केवल फेफड़ों को खराब कर रही है बल्कि इसका असर आंखों पर भी पड़ रहा है।