रायपुर। आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से अगले चार माह तक के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करेंगे। देवशयनी एकादशी पर भगवान जगन्नाथ के मौसी के घर से वापस लौटने के साथ ही सभी तरह के शुभ संस्कारों पर चार माह के लिए रोक लग जाएगी और पूर्व विवाह के लिए केवल तीन श्रेष्ठ मुहूर्त ही अभी बाकी है। कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह के बाद शुभ संस्कार फिर से शुरू हो जाएंगे।
महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि 8 जुलाई को भड़ली नवमी तिथि है। विवाह संस्कार के लिए यह तिथि शुभ मानी जाती है। इसी दिन गुप्त नवरात्र का समापन होगा और चातुर्मास से पहले विवाह संस्कार के लिए यह आखिरी मुहूर्त है। इससे पहले 5 और 6 जुलाई को भी शुभ मुहूर्त में विवाह किया जा सकेगा। 10 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल एकादशी, देवशयनी एकादशी से भगवान का शयन काल शुरू होगा। चार माह पश्चात कार्तिक शुक्ल एकादशी, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने की परंपरा निभाई जाएगी। देवउठनी एकादशी चार नवंबर को पड़ेगी। इसी दिन भगवान शालिग्राम और वृंदा रूपी तुलसी का विवाह कराया जाएगा। ग्रह अस्त होने के चलते विवाह मुहूर्त 26 नवंबर से शुरू होंगे।
विवाह मुहूर्त
जुलाई 5, 6 और 8
नवंबर 26, 27 और 28
दिसंबर 2, 3, 47, 8, 9, 13 और 15