मुंबई। 30 महीने पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार महाराष्ट्र और देश की गैर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीति के शिखर पर थे। भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए और अपनी ही पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए शिवसेना और सहयोगी कांग्रेस के साथ एक अप्रत्याशित गठबंधन बनाने के उनके प्रयास की खूब सराहना की गई। देश में भाजपा के विरोध का नया खाका खोजा गया।
पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) को लेकर चिंता जताई जा रही है। लोगों का ज्यादातर ध्यान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सियासी भविष्य पर टिका है, क्योंकि उनकी पार्टी टूट गई है। आगे भी बिखराव की संभावना है। हालांकि, यहां शरद पवार का भाग्य भी उतना ही अस्पष्ट है। पवार के सामने अपनी पार्टी के भविष्य, उसके नेतृत्व और अपनी विरासत को लेकर कई सवाल हैं। सत्ता से जाने के बाद पवार को अपनी पार्टी और अपनी विरासत की रक्षा के लिए कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा।
शिवसेना के बाद अब एनसीपी की बारी?
एनसीपी के कई नेताओं ने स्वीकार किया है कि पार्टी का नेतृत्व पार्टी को विभाजित करने और अपने कुछ शीर्ष नेताओं को लुभाने के लिए भाजपा द्वारा एक नए प्रयास के लिए तैयार है। शिवसेना को सफलतापूर्वक तोड़ने के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही है कि भाजपा पवार की एनसीपी पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है।
एमवीए सरकार में एनसीपी के दो मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख महीनों से जेल में हैं। ईडी पहले ही एनसीपी नेता एकनाथ खडसे की कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए संपत्तियों को कुर्क कर चुकी है। आयकर ने पिछले साल कर चोरी के आरोप में अजीत पवार से जुड़े व्यवसायों पर छापा मारा था। एनसीपी के पूर्व मंत्री हसन मुश्रीफ पर भी उनसे जुड़ी एक चीनी मिल में गड़बड़ी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
फडणवीस से मिले अजीत पवार के करीबी नेता
नई शिंदे सरकार के शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद अजित पवार के करीबी एनसीपी नेता धनजय मुंडे ने गुरुवार देर रात फडणवीस के साथ बैठक की। मुंडे राज्य में बड़े ओबीसी नेता हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद में एक आक्रामक नेता के तौर पर उनकी अपनी पहचान है। पहले भी विपक्ष में रहते हुए उनके और फडणवीस के मधुर संबंधों की खूब चर्चा होती थी।
एनसीपी के भीतर कई नेताओं ने कहा कि मुंबई में सरकार बदलने के साथ इनमें से कई नेताओं को पार्टी छोड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक एनसीपी नेता हंसते हुए कहते हैं, ”प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तरों में बस कुछ दौरे हुए तो हमें यकीन है कि ठाकरे के बाद अब हम बीजेपी के लिए टारगेट नंबर 1 हैं।”
अजीत पवार पर दांव खेल सकती है भाजपा
कई लोगों को डर है कि बीजेपी फिर से अजीत पवार पर दांव खेल सकती है। 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद दो दिनों तक चलने वाली अल्पमत सरकार के दौरान उनके खिलाफ कुछ मामलों को बंद कर दिया गया था। आयकर विभाग की नजर भी पवार पर है। पिछले साल उनके ठिकानों पर कई छापे मारे हैं।
अजीत पवार के करीबी एनसीपी के एक सचिव ने बताया कि जो चीज उन्हें फिर से ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी वह है एनसीपी में उत्तराधिकार पर स्पष्टता की कमी। शरद पवार के बाद अजीत पवार और सुप्रिया सुले के बीच प्रतिद्वंद्विता के भड़कने की संभावना है। ये सभी पार्टी के अस्तित्व के सवाल खड़े करते हैं। ये ऐसे सवाल हैं जिन पर केवल पवार ही स्पष्टता दे सकते हैं।