Home शिक्षा अफगानिस्तान: नूरिस्तान प्रांत में बिना इमारतों के हैं 70 प्रतिशत स्कूल

अफगानिस्तान: नूरिस्तान प्रांत में बिना इमारतों के हैं 70 प्रतिशत स्कूल

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काबुल। अफगानिस्तान के लोगों का दैनिक जीवन एक बड़ा संघर्ष बन गया है। देश में तालिबान के कब्जे के बाद से हालत बिगड़े हुए हैं। ऐसे में सोमवार को एक और बात सामने आई, जब अफगानिस्तान के शिक्षा विभाग ने सोमवार को कहा कि नूरिस्तान प्रांत के लगभग 70 प्रतिशत स्कूलों में भवन नहीं हैं। टोलो न्यूज ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के हवाले से इस बात कि जानकारी देते हुए बताया कि नूरिस्तान प्रांत में कुल 214 स्कूल हैं, लेकिन इनमें से केवल 60 स्कूलों में ही इमारतें हैं।
नूरिस्तान में बिना इमारतों के स्कूलों पर अधिकारियों ने कहा-
अधिकारियों ने कहा है कि समस्या के समाधान के लिए इन स्कूलों में अस्थायी टेंट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। रिस्तान के शिक्षा निदेशक मावलावी ताह मोटामेन ने कहा- संरचनाओं के निर्माण में प्रगति करने के लिए, हम अपनी समस्या को हल करने के लिए हर जिम्मेदार संस्थान के साथ इस समस्या को लगातार साझा करते हैं।
नूरिस्तान प्रांत के छात्रों की शिकायत
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि नूरिस्तान प्रांत के छात्रों और निवासियों ने शिकायत की है कि हजारों छात्र वर्षों से कठिनाइयों और इमारतों के बिना अध्ययन कर रहे हैं, जिसका उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। एक छात्र हबीबा ने कहा- ‘हमारा स्कूल गाव से काफी दूर है, मैं सीखना चाहती हूं , हमें इस स्कूल में बहुत सारी समस्याएं हैं, हमारे पास एक कलम, एक पुस्तिका या एक किताब नहीं है। जब बारिश होती है, तो हमारा स्कूल बंद हो जाता है, और हम यहां भीषण गर्मी में पढ़ते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार इस समस्या का समाधान करे।’ एक अन्य छात्रा आयशा ने कहा- ‘हम दूर-दूर के गांवों से यहां आ रहे हैं, हमारी सड़क क्षतिग्रस्त है, हम हर दिन इस पहाड़ पर चढ़ते हैं और हमें गिरने का डर है। सरकार को हमारे लिए एक स्कूल और एक सड़क बनानी चाहिए ताकि हम आसानी से अपनी कक्षाओं में आ सकें।’
बता दें कि प्रांत के शिक्षकों और निवासियों ने भी स्कूलों में शैक्षिक सामग्री की कमी के बारे में शिकायत की है। इसके साथ ही इस्लामी अमीरात से उनकी समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देने का अनुरोध किया है। एक शिक्षक मोहम्मद हनीफ ने कहा, ‘मैं उन्हें पेड़ों की छाया में पढ़ा रहा था, और हमारे पास कोई कलम या कागज नहीं है।’ नूरिस्तान के रहने वाले शाह खान ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं कि छात्र आ रहे हैं और पढ़ रहे हैं।’