संगरूर। पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद संगरूर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। सीएम भगवंत मान के इस्तीफे से खाली संगरूर सीट पर शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान ने जीत हासिल कर ली है। उन्होंने आप कैंडिडेट गुरमैल सिंह को 7000 वोटों से मात दी है। इस चुनाव को आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा था। खासतौर पर कानून व्यवस्था के मामले में आम आदमी पार्टी सरकार सवालों के घेरे में रही हैं। सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से मान सरकार बैकफुट पर रही है।
सिमरजीत सिंह ने कहा-थैंक यू
जीत के बाद सिमरनजीत सिंह मान ने फेसबुक पर लिखा, थैंक यू। मान को यह जीत 29 साल के अंतराल के बाद मिली है। वह 1999 में संगरूर से सांसद थे। इसके बाद सभी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा था। मान ने कहा कि यह उन लोगों की जीत है जो आम आदमी पार्टी के कुशासन के खिलाफ मेरे साथ खड़े रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने आम आदमी पार्टी की गैर-अनुभवी सरकार को सबक सिखाया है। यहां की आप सरकार को दिल्ली से कंट्रोल किया जा रहा है और यहां के लोगों ने इस समीकरण को नकार दिया है।
अब आप का कोई सांसद नहीं
संगरूर लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की हार से माना जा रहा है कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर ही लोगों की सरकार से नाराजगी दिखी है। संगरूर लोकसभा सीट से भगवंत मान लगातार दो बार चुने गए थे, ऐसे में यहां से हार होना बड़ा संकेत है। बता दें कि शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) पूर्व में सत्ता में रही अकाली दल से अलग होकर बनी पार्टी है। शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के मुखिया भी सिमरनजीत सिंह मान ही हैं। इस हार के साथ ही आम आदमी पार्टी का लोकसभा में प्रतिनिधित्व भी खत्म हो गया है। गौरतलब है कि भगवंत मान पार्टी के एकमात्र सांसद थे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्हें सांसदी छोड़नी पड़ी थी। मान ने दो बार, 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी। 2014 के बाद से ही संगरूर आप का गढ़ माना जा रहा था। मार्च 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां पर पार्टी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था।
पहले भी संगरूर से सांसद रहे हैं सिमरनजीत
पूर्व आईपीएस अधिकारी सिमरनजीत सिंह मान 1999 में भी संगरूर सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। सिद्धू मूसेवाला की हत्य़ा को उन्होंने मुद्दा बनाया था और आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक प्रचार कर रहे थे। वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से भगवंत मान ने ही कैंपेन की जिम्मा संभाल रखा था। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी यहां रोड शो किया था। इसके अलावा आम आदमी पार्टी सरकार के सभी मंत्री और 92 विधायकों ने भी प्रचार किया था। ऐसे में नतीजा यदि आम आदमी पार्टी के विपरीत आता है तो उसके लिए यह प्रतिष्ठा गंवाने जैसा होगा।
‘आप’ नेता ने माना, बदलाव जमीन पर नहीं दिख रहा
इस सीट पर महज 45 फीसदी ही मतदान हुआ था। इसके चलते माना जा रहा था कि कुछ उलटफेर हो सकता है। आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा था, ‘सिर्फ 45 फीसदी ही मतदान होना इस बात का संकेत था कि सरकार में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। हमने बदलाव के लिए वोट दिया था, लेकिन वह दिख नहीं रहा है। नौकरशाह फैसले ले रहे हैं और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।’