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महंगाई बढ़ने से दुनिया भर में वेतन बढ़ाने की मांग हुई तेज, कई देशों में हो रहे हैं प्रदर्शन

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खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच वेतन नहीं बढ़ने से लोगों की जेबों पर भार बहुत बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में इसकी वजह से व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन और हड़तालें हो रही हैं। इस हफ्ते पाकिस्तान में विपक्षी दलों, जिम्बॉब्वे में नर्सों, बेल्जियम में कामगारों, ब्रिटेन में रेलवे कर्मचारियों, इक्वाडोर में स्थानीय लोगों, अमेरिका में पायलटों और कुछ यूरोपीय एयरलाइंस के कर्मचारियों ने भी बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर प्रदर्शन किए।
कई हफ्तों से जारी राजनीतिक अस्थिरता के बाद बुधवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने आखिरकार देश के आर्थिक रूप से धराशायी हो जाने की घोषणा कर दी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध छेड़ने की वजह से ऊर्जा की लागत बढ़ गई है, उर्वरकों, अनाज और खाद्य तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। बढ़ती कीमतों के साथ अमीरों और गरीबों के बीच की खाई, असमानता और बढ़ने का खतरा है। गरीबीनिरोध संगठन ऑक्सफेम में असमानता नीति के प्रमुख मैट ग्रेनगर ने कहा, ”अमीरों को तो यह भी नहीं पता होता कि एक पैकेट ब्रेड का दाम कितना होता है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने दुनियाभर में असमानता और बढ़ा दी है। अभी तो और अधिक प्रदर्शन देखने को मिलेंगे।” दक्षिण कोरिया में ट्रक चालकों की आठ दिन से जारी हड़ताल पिछले हफ्ते खत्म हुई। ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच वे न्यूनतम वेतन गारंटी की मांग कर रहे थे। कुछ महीने पहले स्पैन में भी ट्रक कर्मी हड़ताल पर चले गए थे। अप्रैल में पेरू में ईंधन और खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के हिंसक होने के बाद सरकार को कर्फ्यू लगाना पड़ा था।