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आत्मानंद विद्यालय में सामाग्री क्रय नियमानुसार जेम पोर्टल सें नहीं वरन ई-मानक पोर्टल से हुई खरीदी……

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कड़ी दर कड़ी तथ्यों पर पड़ताल में आरोप हुएं तथ्यहीन व भ्रामक साबित……

सूरजपुर । खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत बीते दिनों आत्मानंद विद्यालय में सामाग्री क्रय को लेकर प्रतिबंधित जेम पोर्टल सें बाजार भाव से अधिक मुल्य पर खरीदी करनें का आरोप जिले के शिक्षा अधिकारी, डीएमसी समग्र शिक्षा व दो अन्य कर्मियों कि मिलीभगत होने से जुड़ा आशय पर पड़ताल करने पर शुरूआती दौर में सामाग्री खरीदी ई-मानक पोर्टल के माध्यम से शासन द्वारा सामाग्रियों के गुणवत्ता के आधार पर निर्धारित मुल्य पर खरीदी होने से 
आरोप भ्रामक व तथ्य हिन बतौर  सामने आया है।दरअसल सूरजपुर जिले में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल व राज्य सरकार की मंशा अनुसार सात अंग्रेजी माध्यम के माडल विद्यालय की तर्ज पर तमाम सुविधाओं के साथ  आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो द्वारा अपने नौनिहालों को  अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण पढाने का सपना साकार करने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम विद्यालय का संचालन हो रहा है।आलम यह है कि चंद अरसे में इन विद्यालयों में दाखिले के लिए बड़े स्तर पर लोगों का रूझान बढने से लाटरी पद्धति से चयन प्रक्रिया पूर्ण किया गया है।इसके अलावा विद्यालय में अपने नौनिहालों का दाखिला मिलने पर परिजन स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

“सुविधाओं का विस्तार व जरूरत कि पूर्ति हेतु हुई है ई-मानक पोर्टल से खरीदारी, कलेक्टर के अनुमोदन पर संयुक्त खातों में होती हैं समग्र शिक्षा की राशि अंतरित”………

स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में सामाग्री खरीदी को लेकर लगाएं गएं आरोप शुरुआती दौर में निराधार होने के अलावा भ्रष्टाचार का मूल कारण बतौर प्राचार्य व डीएमसी का संयुक्त बैंक खाता संचालन होने की वजह से दवाब बनाकर खरीदी के आरोप पर पड़ताल कि अगली कड़ी में यह जानकारी सामने आई है कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत राशि जारी करनें के लिए जिलें में कलेक्टर के निगरानी व अनुमोदन उपरांत संयुक्त तौर पर संचालित बैंक खातों में राशि अंतरित होने का प्रावधान है,वहीं सामाग्री खरीददारी संबंधित विद्यालय कि जरूरतों को पूर्ण करने के लिए सामाग्री क्रय के लिए छत्तीसगढ़ शासन क्रय नियम का पालन कर शासकीय विभागों के क्रय हेतु ऑनलाइन सिस्टम की प्रक्रिया  ई- मानक पोर्टल सें शासन द्वारा निर्धारित दर अनुसार क्रय से जुड़ी गतिविधीयां सूत्रों के हवाले से खरीदी होने के संबंध में सामने आने के साथ ही दूसरा पहलू बतौर सामाग्री सीधे तौर पर विद्यालय क्रय उपरांत भेजा जाता है,जहापर प्राचार्य द्वारा गुणवत्ता व मात्रा दोनो पर पूर्ण संतुष्टि जताने के बाद ही भुगतान प्रक्रिया पूर्ण होती है।जबकि  प्रसारित समाचार में किसी तरह से तथ्य या क्रय अधिनियम का उल्लेख नहीं कर सीधे तौर पर प्रतिबंधित जेम पोर्टल से होने का आरोप खुद ही कई सवाल खड़े करनें वाला है।अब बेबुनियाद व भ्रामक तौर पर आरोप लगाने से जुड़ा वाक्यां  कहे या कवायद पर अन्य पहलू आने वाले दिनों में सामने आएगा। 

“कलेक्टर के अनुमोदन उपरांत खुले थे बैंक खातें…..

मामले पर आरोप में एक और बिंदु बतौर प्राचार्य के साथ जिला स्तरीय अधिकारी का होने से दवाब बनाकर खरीदी करनें व भ्रष्टाचार का मुल जड़ बताया गया है जबकि उक्त संयुक्त खाता शासन द्वारा समग्र शिक्षा अभियान के तहत राशि जारी करनें हेतू कलेक्टर के निगरानी में जारी होने के साथ ही अनुमोदन पर केवल  संयुक्त बैंक खातें में अंतरित होने के नियमों का परिपालन कर जिले में कलेक्टर के अनुमोदन उपरांत ही पूर्व के वर्ष में डीएमसी व प्राचार्य का संयुक्त खाता प्रारंभ कराया गया था।जिसपर लंबी अवधि गुजरने के बाद भी किसी तरह से कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है ।वही संयुक्त खाता संचालन सें जहां विद्यालय में शैक्षणिक गतिविधीयों व जरूरतों पर वांछित सामाग्री या अन्य कार्य हेतू प्राचार्य व डीएमसी के संयुक्त हस्ताक्षर सें होने पर गतिविधीयों पर जिला स्तरीय निगरानी भी  होती है।