नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि जब मामला पर्सनल लिबर्टी (Personal Liberty) से जुड़ा हो तो कोर्ट से उम्मीद की जाती है कि वह ऐसे मामले में जल्द फैसला लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की है जिसमें याचिकाकर्ता ने दो जून के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत की सुनवाई दो महीने के लिए टाल दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला जब लिबर्टी से जुड़ा हो तो सुनवाई जल्द होनी चाहिए। हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई दो महीने के लिए टाले जाने पर नाखुशी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन बेंच के जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस सुधांशु धुलिया ने कहा कि याचिकाकर्ता की आपत्ति इस बात को लेकर है कि अग्रिम जमानत की अर्जी जो उन्होंने हाई कोर्ट में लगाई उसकी सुनवाई 31 अगस्त के लिए टाल दी गई। और इस दौरान उन्हें कोई अंतरिम प्रोटेक्शन भी नहीं दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत की अर्जी को दो महीने के लिए टाला जाना सराहा नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका 24 मई को दाखिल की गई थी। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट से आग्रह किया जाता है कि वह अग्रिम जमानत पर मेरिट पर जल्द फैसला ले। और कोशिश करे कि वह कोर्ट खुलने के तीन हफ्ते के भीतर फैसला ले। इस दौरान याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से प्रोटेक्शन प्रदान किया जाता है।