नई दिल्ली। प्रयागराज एवं प्रदेश के अन्य हिस्सों में बुलडोजर चलाने की कार्रवाई पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया है। यूपी सरकार ने कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई का भाजपा के निलंबित प्रवक्ताओं की ओर से पैगंबर मोहम्मद पर दिए बयान के बाद भड़के दंगों से कोई ताल्लुक नहीं हैं। सरकार ने कहा कि अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई नगर निकाय के नियमों के अनुसार की जा रही है। यही नहीं राज्य सरकार ने अदालत से मांग की है कि जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की अर्जी को पेनल्टी के साथ खारिज करना चाहिए।
यही नहीं योगी सरकार ने जमीयत की अर्जी को लेकर कहा कि उन्होंने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर याचिका डाली है। सरकार ने कहा कि उनकी ओर से लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं। इसलिए उनकी अर्जी खारिज हो जानी चाहिए। सरकार ने साफ कहा कि यूपी में जिन संपत्तियों पर बुलडोजर चला है, वे अवैध थीं। इसके अलावा नगर निगम के नियमों का पूरी तरह से पालन किया गया है। दंगों में शामिल होने के चलते ही लोगों पर ऐक्शन नहीं हुआ है। दंगा करने वाले लोगों पर अलग कानूनों के तहत कार्रवाई की जा रही है।
बता दें कि बीते सप्ताह जमीयत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से बुलडोजर वाले ऐक्शन पर जवाब मांगा था। इसके साथ ही बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग से इनकार करते हुए कहा था कि हम अवैध निर्माण पर कार्रवाई को नहीं रोक सकते, लेकिन इसके लिए नियमों का पालन होना जरूरी है। दरअसल प्रयागराज और कानपुर जैसे कई स्थानों पर यूपी सरकार ने बुलडोजर वाला ऐक्शन लिया था, जिसे पैगंबर मोहम्मद विवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं से जोड़कर देखा जा रहा था। लेकिन अब अपने एफिडेविट में यूपी सरकार ने दंगों में शामिल होने के चलते लोगों के निर्माण गिराने से इनकार किया है।