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न बचे दोस्त, न रहा चुनावी सहारा, सियासी मैदान में ऐसे अकेली पड़ रही कांग्रेस

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नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी के नाम प्रवर्तन निदेशालय ने समन जारी किया था। नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जारी समन पर कांग्रेस ने तो सवाल उठाए, लेकिन उनके सुर में सुर मिलाने कम ही दल नजर आए। शिवसेना को छोड़ दिया जाए, तो किसी अन्य विपक्षी दल की तरफ से इसका खास विरोध या आलोचना नहीं की गई। कई और मौकों पर भी नजर आया कि कांग्रेस के सहयोगी दलों के साथ संबंध तनाव में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उदाहरण के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यसभा चुनाव के लिए एकतरफा उम्मीदवार को घोषणा कर दी। जबकि, कांग्रेस सीट चाहती थी। यहां JMM ने न केवल कांग्रेस को सीट नहीं दी, बल्कि राज्य की गठबंधन सरकार में साझेदार को बगैर जानकारी दिए उम्मीदवार का ऐलान कर दिया। अप्रैल में असम में AIUDF के कुछ विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते कांग्रेस का राज्यसभा उम्मीदवार हार गया। वहीं, बीते साल नवंबर में राजद ने विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस को दरकिनार कर दो उम्मीदवारों (कुशेश्वरस्थान और तारापुर) के नामों की घोषणा कर दी। ऐसे में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार तो उतारे, लेकिन दोनों ही सीटों पर जमानत जब्त हो गई। इधर, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ DMK ने भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हिस्सेदार कम कर 25 सीटों पर कर दी। जबकि, 2016 में यह आंकड़ा 41 पर था।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा कि उत्तर प्रदेश में एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अखिलेश यादव से गठबंधन के संबंध में बात की थी। कथित तौर पर उन्होंने यादव से कहा था कि कांग्रेस केवल 30 या 40 सीटों पर लड़ना चाहती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भाजपा विरोधी वोट न बटें। रिपोर्ट के मुताबिक, समाजवादी पार्टी ने इस पेशकश पर चर्चा की भी इच्छा नहीं जताई। इसके कुछ महीनों बाद राहुल गांधी ने खुलासा किया कि उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मयावती के पास भी गई थी। उन्होंने बताया कि गठबंधन के अलावा मायावती को सीएम पद का भी ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
राहुल ने भी उठा दिए थे सवाल
हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस अकेली ही भारतीय जनता पार्टी का सामना कर सकती है, क्योंकि क्षेत्रीय दलों के पास न कोई विचारधारा है और न ही केंद्रीय दृष्टिकोण। कांग्रेस नेता के इस बयान के बाद विपक्ष के कई नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी।
राज्यसभा चुनाव में भी मुश्किलें बरकरार
इन तमाम विवादों के बीच कांग्रेस हरियाणा और राजस्थान राज्यसभा चुनाव में संकट का सामना कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, एक ओर जहां पार्टी को जारी संकट से उबरने का भरोसा है। वहीं, नेताओं का कहना है कि परेशानी चुनाव के बाद शुरू होगी।