नई दिल्ली। कर्नाटक में चल रहे पाठ्यपुस्तक विवाद के बीच शुक्रवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई समीक्षा समिति को भंग कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि वो आपत्तिजनक कंटेंट के संशोधन के लिए तैयार हैं। पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के भंग करने के फैसले की पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता सिद्धारमैया ने आलोचना की है। यह आलोचना पूर्व सीएम ने ट्वीट के माध्यम से की।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने 4 जून को पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति को भंग कर दिया। साथ ही कहा है कि पाठ्यपुस्तक समीक्षा के लिए नई समिति के गठन का सवाल ही नहीं उठता। बता दें कि इस विवाद के पीछे की वजह यह है कि पाठ्यपुस्तक में 12वीं सदी के समाज सुधारक बसवन्ना को लेकर त्रुटिपूर्ण सामग्री शामिल करने और कवि कुवेम्पु का अपमान करने का भी आरोप है। इसे लेकर संतों ने सीएम बोम्मई को पत्र भी लिखा था।
तो वहीं, अब सीएम बोम्मई ने एक बयान जारी किया कि पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति को भंग कर दिया गया था क्योंकि इसका निर्दिष्ट कार्य पूरा हो गया था। उन्होंने कहा कि यदि कोई आपत्तिजनक सामग्री है तो सरकार और संशोधन के लिए तैयार है। सीएम बोम्मई के फैसले की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा, ‘यह संशोधित पाठ्यपुस्तक है जिसे वापस लेने की जरूरत है, न कि उस समिति ने जो पहले ही अपना एजेंडा पूरा कर चुकी है। यदि पूर्वाग्रह से ग्रस्त अध्यक्ष को हटा दिया जाता है, तो हम उनकी समिति द्वारा संशोधित पाठ्यपुस्तक को कैसे स्वीकार कर सकते हैं?’ समिति का गठन रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता में सामाजिक विज्ञान और भाषा की पाठ्यपुस्तकों की जांच और उन्हें संशोधित करने के लिए किया गया था। भगवाकरण विवाद के मद्देनजर चक्रतीर्थ को बर्खास्त करने की मांग उठने लगी थी।